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स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के सेकेंड लेफ्टिनेंट सरजीत सिंह भाटी की याद में ग्रेटर नोएडा के गांव बिसरख में जल्द ही एक आलीशान और गौरवमयी स्मृति द्वार लगाया जाएगा। इस द्वार के निर्माण का कार्य फिलहाल युद्ध स्तर पर चल रहा है और जल्द इसका निर्माण पूरा होने पर इसे जन मानस को सुपुर्द कर दिया जाएगा। ताकि साल दर साल लोग स्वर्गीय भाटी जैसे जांबाज स्वतंत्रता सेनानी की जिंदगी से प्रेरणा लेते रहें।
फिलहाल इस गेट का ढांचा बनकर तकरीबन तैयार हो गया है और अब इसमें पत्थर का काम होना बाकी है। स्वर्गीय स्वतंत्रता सेनानी सरजीत सिंह भाटी के पोते और बीजेपी के नेता आमोद भाटी की अगुवाई में गांव बिसरख के लोगों ने गेट में पत्थर लगाए जाने के काम का शुभारंभ किया। हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक गांव के लोग मौके पर इकट्ठा हुए और पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना कर कुमकुम अभिषेक के साथ गेट में पत्थर लगाए जाने का काम आरम्भ किया।

इस मौके पर स्वर्गीय सरजीत सिंह भाटी के पोते आमोद भाटी ने जानकारी दी कि ये गेट सिर्फ गांव बिसरख ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में एक धरोहर के तौर जाना जाएगा और देश के स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता रहेगा। उन्होंने कहा कि बिसरख और ग्रेटर नोएडा के लोगों की आकांक्षा के मुताबिक इस गेट का निर्माण इतने भव्य तरीके से किया जा रहा है कि लोग इस पर गर्व करेंगे। सही मायने में ये हमारे पुरखों की देश के लिए किए गए त्याग और बलिदान की याद दिलाता रहेगा।
स्वतंत्रता सेनानी सरजीत सिंह भाटी ने आजादी की लड़ाई में महान भूमिका निभाई थी। वो पहले पंजाब रेजिमेंट में हुआ करते थे, लेकिन आजादी की लड़ाई में वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और उनकी देशभक्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सब कुछ छोड़ कर आजाद हिंद फौज ज्वाइन कर लिया और नेताजी के साथ देश सेवा में लग गए। साल 1943 में नेता जी कहने पर ही उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली के लाल किले पर आजाद हिंद फौज का झंडा फहरा दिया था। इसके बाद वो लगातार अंग्रेजों से लोहा लेते रहे।
आजादी के लड़ाई के आखिरी दिनों में उन्होंने करीब चार साल तक कालापानी की सजा भी काटी और अपना नाम अमर कर गए।