Tehsildar Viral Video: महाराष्ट्र के नांदेड ज़िले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ उमरी तहसील के तत्कालीन तहसीलदार प्रशांत थोरात को केवल एक गाना गाने की वजह से सस्पेंड होना पड़ गया। 8 अगस्त 2025 को अपने ही विदाई समारोह के दौरान उन्होंने सरकारी कुर्सी पर बैठ बैठे भावनात्मक अंदाज़ में बॉलीवुड का मशहूर गाना ‘यारा तेरी यारी को’ गाया। इस पूरे दृश्य को वहां मौजूद किसी कर्मचारी ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया और वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
सरकारी गरिमा पर उठे सवाल, नियमों का उल्लंघन बताया गया
वीडियो के वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया। नांदेड के कलेक्टर द्वारा एक रिपोर्ट संभागीय आयुक्त को भेजी गई जिसमें इसे “Maharashtra Civil Services (Conduct) Rules, 1979” के उल्लंघन के रूप में चिह्नित किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी कुर्सी का इस प्रकार “निजी प्रदर्शन” के लिए इस्तेमाल करना पद की गरिमा के खिलाफ है और इससे शासकीय कार्यालय की छवि धूमिल होती है।
जानिए मंत्री ने संगीत प्रोग्राम पर क्या कहा
संभागीय आयुक्त जितेंद्र पापलकर ने कार्रवाई करते हुए तहसीलदार थोरात को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspended) कर दिया।
सोशल मीडिया पर गाने का वीडियो वायरल –
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महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस मामले पर अपनी सोच साफ की। उन्होंने कहा, “सरकारी अधिकारी जनता के प्रतिनिधि होते हैं। सरकारी पद की गरिमा बनाए रखना उनकी ज़िम्मेदारी है। इस प्रकार कार्यालय की कुर्सी पर बैठकर गाना गाना न सिर्फ अनुशासनहीनता है, बल्कि इससे जनता में गलत संदेश जाता है।”
सवाल भी उठे: क्या यह फैसला ज़रूरत से ज्यादा कठोर है?
हालांकि इस निलंबन को लेकर कुछ सरकारी अधिकारी और राजनेता सवाल भी उठा रहे हैं। भाजपा नेता उज्वल केशकर ने कहा कि यह केवल एक विदाई समारोह था और उसमें भावुक होकर गाना गाना एक मानवीय प्रतिक्रिया हो सकती है। वहीं महाराष्ट्र ऑफिसर्स फेडरेशन ने इस कार्रवाई को जल्दबाज़ी में लिया गया कठोर कदम बताया और सरकार से पुनर्विचार की मांग की है।
सोशल मीडिया पर दो राय, जनता बंटी हुई
जहाँ एक ओर कुछ लोग अधिकारी के संगीत प्रेम को “दिल से काम करने वाला अफसर” कहकर सराह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ यूज़र्स यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकारी ऑफिस “स्टेज” बनने के लिए है? इस वायरल वीडियो ने नौकरशाही में “पेशेवर आचरण बनाम व्यक्तिगत अभिव्यक्ति” की बहस को फिर से जिंदा कर दिया है।
