Supreme court order on stray dogs removal: आवारा कुत्तों को लेकर जारी देशव्यापी बहस के बीच कर्नाटक के छिकबल्लापुर के शिड़लगट्टा इलाके से एक दर्दनाक खबर सामने आई है। यहां नेताजी स्टेडियम के पास 30 से ज्यादा आवारा कुत्तों ने महज 10 साल के एक छोटे से लड़के पर हमला कर उसे बुरी तरह से नोच लिया। वो तो भला हो लोकल लोगों और स्टेडियम में खेल रहे एथलीट्स का, जिन्होंने बच्चे की किसी तरह कुत्तों के चंगुल से रेस्क्यू किया।
अभी एक दिन पहले ही दिल्ली के करीब गाजियाबाद में एक महिला पर हाउसिंग सोसायटी के अंदर एक आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया था। जिसका वीडियो खूब वायरल हो रहा है।

हिंसक कुत्तों के हमले से बुरी तरह घायल हुआ मासूम
कर्नाटक के मामले में कुत्ते कितने हिंसक थे, इसका पता इसी बात से चलता है कि बच्चे को कुत्तों से छुड़ाने के लिए लोकल लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। फिलहाल बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां उसका इलाज जारी है। यह घटना आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे को दर्शाती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए जो सड़क पर ज्यादा संवेदनशील होते हैं। 10 साल के चरण पर ये हमला तब हुआ, जब वो स्टेडियम के पास खेल रहा था।
आवारा कुत्तों की समस्या से जूझ रहे लोगों में गुस्सा
लोगों का कहना है कि फिलहाल आवारा कुत्तों की संख्या में बढ़ोतरी और उनका नियंत्रण न होना एक बड़ी समस्या बन चुका है। वे न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं बल्कि सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय हैं। कई बार ये हमले बेकाबू हो जाते हैं और स्थानीय जनता में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा करते हैं।
कुत्तों की नसबंदी और प्रॉपर प्लानिंग पर जोर
लोगों के मुताबिक आवारा कुत्तों की समस्या से निजात पाने के लिए कड़ी और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि वे स्थानीय स्तर पर आवारा जानवरों का नियंत्रण सुरक्षित और प्रभावी तरीके से करें। टीकाकरण अभियान, सामुदायिक जागरूकता, और आवारा कुत्तों के संरक्षण के साथ-साथ उनके आक्रामक व्यवहार को भी नियंत्रित करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्तों पर देशव्यापी बहस
इस मामले पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद पूरे देश में बहस चल रही है। कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर से सारे कुत्तों को डॉग शेल्टर भेजने का आदेश दिया है। इस प्रकार की घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि आवारा जानवरों के प्रबंधन की दिशा में तत्काल कार्यवाही अनिवार्य है। बच्चे और आम जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसके लिए सामूहिक प्रयास और सख्त नियमावली बनानी होगी। आवारा कुत्तों के हमलों को रोकने के लिए न केवल प्रशासन बल्कि सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है ताकि ऐसे दुखद अनुभव दोबारा न हों।
