Solid waste road construction in India. एक प्रतीकात्मक तस्वीर.
Solid waste road construction in India : राज्यों और केंद्र सरकार मिल कर आने वाले सालों में सड़क निर्माण के तरीके में बड़ी क्रांति लाने की तैयारी में जुटी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ने घोषणा की है कि 2027 तक पूरे भारत का ठोस यानी घरेलू ठोस कचरे (solid waste) का सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मकसद न सिर्फ कचरा प्रबंधन में सुधार करना है, बल्कि निर्माण लागत, पर्यावरणीय दबाव और संसाधनों की बचत को भी बढ़ावा देना है।
जानिए क्या है ये महत्वाकांक्षी परियोजना
- सड़क निर्माण प्राधिकरण (NHAI) पूरी कोशिश कर रहा है कि देश भर के legacy solid waste को इकट्ठा करके उन्हें उचित तरीके से बाँट (segregate) कर सड़कों को बनाने में इस्तेमाल किया जाए।
- अभी तक दिल्ली और अहमदाबाद में लगभग 80 लाख टन नगरपालिका जनित ठोस कचरे को सड़क निर्माण में उपयोग किया जा चुका है।
- यह प्रोजेक्ट आने वाले पाँच सालों में पूरी तरह लागू करने का टारगेट है।
अब जानिए कि इसके क्या फायदे होंगे
- ठोस कचरे से बनने वाली सड़कें निर्माण सामग्री की कमी को पूरा करेंगी, जैसे कि अस्फाल्ट, डामर आदि।
- कचरा प्रबंधन बेहतर होगा; इससे पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा, लैंडफिल साइट्स पर दबाव घटेगा।
- सड़क निर्माण की लागत में बचत संभव है क्योंकि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कचरे का उपयोग होगा।
क्या हैं चुनौतियां और क्या होंगे जरूरी कदम
- ठोस कचरे का सही से विभाजन, सफाई और प्री-ट्रीटमेंट करना होगा ताकि उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
- निर्माण की गुणवत्ता बनाए रखनी होगी—छोटी गलतियाँ सड़क की मजबूती, डेम और जीवन पर असर कर सकती हैं।
- नीतिगत एवं वित्तीय प्रोत्साहन चाहिए ताकि स्थानीय प्राथमिकताएँ इस मॉडल के अनुरूप हों।
- समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी कि लोग कचरा अलग-अलग करें ताकि प्रक्रिया आसान हो।
स्थिति अभी कहाँ है
- दिल्ली और अहमदाबाद में प्रायोगिक और आवश्यक प्रयास हो चुके हैं, जहाँ ठोस कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में किया गया।
- सरकार इसे विस्तार देना चाहती है और देश भर में इस मॉडल को लागू करने का लक्ष्य तय किया गया है।
यह योजना सड़क निर्माण के तरीके को बदल सकती है—पर्यावरण संरक्षण, निर्माण लागत में बचत और कचरा प्रबंधन को बेहतर करने के in one initiative। अगर सही तरीके से लागू हो, तो आने वाले वर्षों में यह भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के नजरिए से मील-का-पत्थर बन सकती है।
