
Railway New Rules 2025. रेलवे रिजर्वेशन के नए रूल्स का हो रहा है विरोध.
Railway New Rules 2028 : रेलवे तत्काल टिकट बुकिंग को लेकर बनाए गए नए नियमों ने देश भर के करीब 1 हजार अधिकृत टिकट एजेंटों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। एजेंट्स की मानें तो ये नए नियम इतने अजीबोगरीब हैं कि इससे उनके सामने रोजी-रोटी छिन जाने का संकट पैदा हो गया है और ऊपर से रेलवे के अधिकारी इस परेशानी को लेकर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अधिकृत एजेंट्स के संगठन, यात्नी टिकट सुविधा केंद्र एसोसिएशन यानी वाईटीएसके एसोसिएशन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिख कर इस संकट से बाहर निकालने की गुहार लगाई है।
जानिए क्या हैं वो नियम जिनका हो रहा है विरोध
अब सवाल ये है कि आखिर रेलवे के ये नए नियम क्या हैं, जिनसे एजेंट्स इतने परेशान हो गए हैं? और ये कब से लागू होने वाले हैं? तो जवाब है कि
- रेलवे ने ये तय किया है कि अब तत्काल टिकट बुकिंग शुरू होने के बाद पहले आधे घंटे तक एजेंट्स टिकट नहीं बनवा सकेंगे।
यानी हिसाब से एसी के तत्काल टिकट की बुकिंग अधिकृत एजेंट्स को सुबह 10 बजे से साढ़े 10 बजे के बीच काउंटर से दूर रहना होगा।
इसी तरह नॉन एसी के लिए एजेंट्स सुबह 11 से साढ़े 11 तक तत्काल टिकट नहीं बुक करवा सकेंगे।
इसी तरह अब रेलवे ने तय किया है कि 1 जुलाई से आईआरसीटीसी की वेबसाइट के जरिए तत्काल टिकट बुक करवाने के लिए आधार यूजर्स को ओटीपी आधारित आधार वेरिफिकेशन करवाना होगा।
नए नियम के मुताबिक पीआरएस काउंटर्स पर रेलवे एजेंट्स को बुकिंग के लिए बुकिंग पर्सन के मोबाइल पर भेजे जाने वाले ओटीपी की दरकार होगी।
अधिकृत एजेंट्स के संगठन वाईटीके एसोसिएशन ने इन सारे नियमों को अव्यवहारिक और दमघोंटू बताया है। संगठन का कहना है कि कई काउंटर्स के इर्द-गिर्द इंटरनेट की हालत ऐसी है कि ओटीपी आने में ही लंबा वक्त लग जाता है। ऐसे में टिकट बुक करवाना तकरीबन नामुमकिन हो सकता है। इसी तरह किसी से ओटीपी हासिल कर आगे काम पूरा करवाना भी अव्यवहारिक है। एजेंट्स अगर बुकिंग टाइम शुरू होने पर काउंटर से दूर ही रहेंगे, तो फिर उनकी बुकिंग होगी कैसे? और जब बुकिंग ही नहीं कर पाएंगे, तो फिर उन्हें ग्राहक मिलेंगे कैसे और उनकी रोजी रोटी चलेगी कैसे?
रेलवे पर एक तरफा फैसला लेने का आरोप
वाईएसटीके एसोसिएशन ने कहा है कि जिस तरह से इन नए नियमों को थोपने की कोशिश की जा रही है, वो एजेंट्स को बर्बाद करने की साजिश है। जिस पर रोक लगाना जरूरी है। एसोसिएशन के राज कुमार पंडित ने कहा है कि इस मामले पर कोई भी आखिरी फैसला लेने से पहले रेलवे को एक बार एजेंट्स का पक्ष भी जरूर सुनना चाहिए, ताकि उनके सामने जीविकोपार्जन का संकट ना खड़ा हो जाए।