Premanand Ji On Bhandara – भंडारे का एक खास महत्व होता है। ये दान पुण्य का एक तरीका है। समझा जाता है कि भंडारा करने और भूखों को भोजन करवाने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। लेकिन क्या भंडारे का प्रसाद खाना सही होता है? ये किसके लिए उचित है और किसके लिए अनुचित? तो वृंदावन के जाने माने संत स्वामी प्रेमानंद ने भंडारे का प्रसाद खाने और न खाने को लेकर अपनी राय दी है। मार्गदर्शन किया है। (Premanand Ji On Bhandara)
Premanand Ji On Bhandara – गृहस्थों के लिए भंडारे का प्रसाद खाना ठीक नहीं
संत प्रेमानंद ने कहा कि अगर शहर में कहीं कोई भंडारा हो रहा है और आप गृहस्थ हैं, कमाते हैं, तो आपको ऐसे भंडारे में कभी नहीं खाना चाहिए। आप सम्मान और श्रद्धा के साथ हाथ जोड़ कर आगे निकल जाइए। उनका कहना था कि अगर आप कमाते हैं, तो आपको खुद दान पुण्य करना चाहिए ना कि दूसरों के दान-पुण्य को बटोरने की कोशिश करना चाहिए।
Premanand Ji On Bhandara – मंदिर का प्रसाद थोड़ा लें, बाकी बांट दें
उन्होंने मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के बारे में भी मार्गदर्शन किया। संत प्रेमानंद ने कहा कि जो प्रसाद किसी मंदिर में मिलता है, उसे थोड़ा ही खाना चाहिए। बाकी प्रसाद दूसरों में बांट देना चाहिए। अगर आप चाहें तो गाय को प्रदान कर दीजिए या फिर अगर यमुना जी के पास हैं, तो यमुना में प्रवाहित कर दीजिए। ऐसा नहीं कि प्रसाद को कहीं भी रख के चले आएं। उन्होंने कहा कि सामर्थ्यवान होते हुए भी मुफ्त में भोजन प्राप्त कर लेना अच्छा नहीं है। इससे पुण्य क्षीण हो जाता है।
पीरिएड्स में मंदिर जाएं या नहीं? संत प्रेमानंद ने बताया-
https://newschronicles.in/premanand-ji-on-periods/
संत प्रेमानंद ने जो कहा उसे आप यहां सुन सकते हैं-
https://www.youtube.com/shorts/ZcBxE8PXES4
अगर संत प्रेमानंद की भंडारे पर कही गई बात डिटेल में यहां भी सुन सकते हैं-
https://www.youtube.com/watch?v=73X5DFlsmrE
Premanand Ji On Bhandara – कुछ खाने से पहले अपनी ओर से दान करें
उन्होंने कहा कि भंडारे में जाकर भर-भर कर खीर, समोसा, पूड़ी, पकौड़ा ये सब खाना ठीक नहीं है। अगर आप के पास क्षमता हैं, तो याचक के भाव में बिल्कुल ना रहें। हाथ न पसारें। उन्होंने कहा, तुम गृहस्थ हो। कोई बाबा नहीं हो। उन्होंने कहा कि अगर किसी आश्रम में रुकते हैं और वहां अगर आपको कुछ भोजन आदि मिलता है, तो पहले खुद अपनी तरफ से दान करना चाहिए। तभी भोजन करना चाहिए। मुफ्त की रोटी खाने से पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
Premanand Ji : जब खंडहर में संत प्रेमानंद का प्रेत से हुआ सामना.. घुटने लगी सांस, तब कैसे बची जान..