Patna JP Ganga Path – आपको याद होगा अभी चंद रोज पहले ही बिहार शरीफ में 40 लाख रुपये के खर्चे से बने क्लॉक टावर की घड़ियां उद्घाटन के चंद दिनों के अंदर ही बंद हो गई थी। जिसे लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने सरकार से लेकर टावर बनाने वाले इंजीनियर्स की बड़ी खिंचाई की। लेकिन अब बिहार में मानों फिर से एक ऐसे ही वाकये का एक्शन रिप्ले होने लगा है। (Patna JP Ganga Path)
Patna JP Ganga Path – तीन दिनों में ही भ्रष्टाचार का संकेत देने लगा करीब 4 हजार करोड़ का पुल
बस इस बार विवाद के केंद्र में 3 हजार 831 करोड़ रुपये के खर्चे से पटना में बनाया गया जेपी गंगा पथ है। कंगनघाट से दरियागंज को जोड़ने वाले इस पुल को लेकर ऐसी हवा बनाई गई कि लोग इसे पटना का मरिन ड्राइव तक कहने लगे। गोया मरीन ड्राइव कहने से मुंबई की फीलिंग भी आने लगी। सीएम साहब ने भी अपने लवाजमे के साथ पहुंच कर फटाफट मुस्कुराते हुए जेपी गंगा पथ का उद्घाटन कर दिया। लेकिन अभी उद्घाटन को 3 दिन भी नहीं गुजरे थे कि इस पुल के साथ-साथ मानों बिहार और बिहारियों के सपनों में भी दरार पड़ गई।
Patna JP Ganga Path – आखिर कौन सा सच छुपाना चाहती है सरकार?
नेताओं ने क्या-क्या नहीं कहा था, इस पुल को लेकर। इसे विकास की नई उड़ान से लेकर पटना की नई पहचान तक बता दिया था, लेकिन उद्घाटन के साथ ही इसमें आई दरार ने सारी पोल खोल दी। अब जब पत्रकार इस दरार को लेकर सवाल पूछने लगे, तो मंत्री से लेकर इंजीनियर तक इस दरार को पुल का ज्वाइंट करार देने में लगे हैं। लेकिन सच्चाई ये भी है कि इसके साथ ही इस दरार को भरने यानी इस पैबंद लगाने का काम भी शुरू हो गया है। चलिए मान लेते हैं कि ये नहीं ज्वाइंट है, जो एक तरह सस्पेंशन काम करता है। तो फिर सवाल ये उठता है कि ये दरार पुल में एक नहीं हर चंद मीटर के फासले पर होनी चाहिए थी।
बिहार में ‘अलगे खेला’ होता है. खबरवा पढ़िए-
देखिए इंडियन एक्सप्रेस ने Patna JP Ganga Path पर क्या लिखा-
Patna JP Ganga Path – अगर दरार नहीं ज्वाइंट है तो फिर जांच क्यों?
फिर तो चाहिए ये भी थी कि मंत्री से लेकर एक्सपर्ट तक इसे लेकर अपने स्टैंड पर कायम रहते और इसे भरवाने की जहमत ही नहीं उठाते। साफ-साफ बता देते कि पुल ऐसा ही होता है, इसकी टेक्नोलॉजी ऐसी ही होती है। इसलिए घबराने और सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं है।मगर एक तरफ को शासन इसे ज्वाइंट बताने में जुटा है, वहीं दूसरी तरफ ये भी बता रहा है कि रुड़की से इंजीनियरों की खास टीम आकर इसका ऑडिट करेगी। जिस बिहार में आए दिन पुल गिरते हों, सड़कें गायब हो जाती हैं, कागज पर ही पुल बना दिए जाते हों, वहां पुल का ज्वाइंट बी अगर मन में दहशत पैदा कर दे, तो कैसी हैरानी?