
New trend: मैं तुमसे प्यार तो करता हूँ मगर शादी नहीं करना चाहता। आज कल युवाओं में एक अलग ही तरह का ट्रेंड चला है, जहाँ वह एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में तो रहना चाहते हैं, मगर एक दूसरे से शादी नहीं करना चाहते। यानी युवा कमिटमेंट से डर रहे हैं।
कहीं आपकी तो नहीं राहुल सिया वाली स्टोरी?
ऐसा ही एक मामला है राहुल और सिया का जहाँ राहुल और सिया एक दूसरे से प्यार करते हैं मगर जब बात शादी की आती है तो राहुल पीछे हट जाता है। वह कहता है कि प्यार है तो शादी की क्या ज़रुरत? यहाँ मामला सिर्फ राहुल और सिया का नहीं है। आज कल बहुत से नौजवान इसी ट्रेंड को फॉलो करने लगे हैं। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइये जानते हैं।
आखिर कमिटमेंट से क्यों डर रहे हैं युवा?
दरअसल, मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों के मुताबिक इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। मसलन..
- 1. कई बार बच्चे बचपन में तनाव के माहौल में बड़े होते हैं। इसीलिए उन्हें रिश्तों पर भरोसा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वे किसी भी रिश्ते में कमिटमेंट करने से डरते हैं.
- 2. कई बार बच्चों के माता-पिता अलग हो जाते हैं यानी उनका डाइवोर्स हो जाता है। जब बच्चों ने अपने माता-पिता को अलग होते देखा हो या घर में ऐसे झगड़ों को देखा हो तो उनके मन में डर बैठ जाता है और इसीलिए भी वह शादी जैसे बंधनों से डरते हैं।
- 3. कुछ मामलों में एक कारण यह हो सकता है कि व्यक्ति को अपने अंदर कमी दिखती हो यानी उन्हें ऐसा लगता हो कि वह अपने पार्टनर के लिए ठीक नहीं है या वह कभी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाएंगे। इस कारण से भी वह रिश्तों से दूरी बनाने लगते हैं।
- 4. युवाओं को यह लगता है कि बेनाम रिश्ता ज्यादा अच्छा होता है या ज्यादा चल जाता है। इस करण वह प्यार के रिश्ते को नाम नहीं देना चाहते हैं और कमिटमेंट नहीं करते। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर यह रिश्ता गंभीर हुआ तो कुछ हो जाएगा या वह फंस जाएंगे।
- 5. कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि यदि उन्होंने किसी रिश्ते में कमिटमेंट कर दी तो वह रिश्ता उनके करियर में रुकावट ना बन जाए। लोग ऐसा पार्टनर चाहते हैं जो उन्हें उनके करियर में आगे बढ़ाने में मदद करे। यदि कोई रिश्ता उनके करियर ग्रोथ में रुकावट बनता है तो वह उससे दूर होना चाहते हैं और समय के साथ दूरी बनाने लगते हैं।
इसके साथ एक कारण यह भी हो सकता है कि जिस तरह आज के रिश्ते खत्म हो रहे हैं युवाओं के मन में शादी जैसे बंधन को लेकर एक डर बन गया है और इसीलिए वह कमिटमेंट करने से डर रहे हैं।
आखिर इस मसले का हल क्या है? जानें..
अब सवाल ये है कि आखिर कमिटमेंट से भागते नौजवानों को रिश्तों की कीमत कैसे समझाई जाए? तो जवाब है, उनकी काउंसिलिंग करके। उन्हें रिश्तों की अहमियत बताने के साथ साथ अपने आस पास रिश्तों को निभाने वाले अच्छे लोगों के उदाहरण दे कर। उन्हें फैमिली की वैल्यू समझा कर, उसकी खूबसूरती के बारे में बता कर।
मनोवैज्ञानिक हेमंत रस्तोगी बताते हैं कि नौजवानों को ये बताना जरूरी है कि कमिटेड रिलेशनशिप में आकर वो एक दूसरे के लिए सपोर्ट सिस्टम की तरह काम कर सकते हैं। बस, धैर्य के साथ साथ प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूड को अपने अंदर आत्मसात करने की जरूरत है। आज प्री और पोस्ट मैरिटल काउंसिलिंग की सुविधा भी आसानी से मिल जाती है। उसका फायदा भी उठाया जा सकता है।
(पलक गुप्ता का इनपुट)