Nepal anti corruption protest
Nepal anti corruption protest: नेपाल में भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद के खिलाफ जारी नौजवानों के आंदोलन को अब चार दिनों का वक्त गुजर चुका है। लेकिन हिंसा का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। लगातार आंदोलनकारी नौजवान सरकारी दफ्तरों और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल जस का तस है कि अब नेपाल का क्या होगा?
आखिर Gen Z आंदोलनकारियों के फेवरेट बालेन शाह पीछे क्यों हट गए?
असल में सबसे पहले नेपाल की कमान काठमांडू के मेयर और रैपर से नेता बने बालेन शाह को सौंपने की बात कही थी। उनके हक में नेपाल में Gen Z आंदोलनकारियों ने पोस्टर भी जारी किए। लेकिन जब देश कमान संभालने की बारी आई, तो बालने शाह पीछे हट गए। इससे आंदोलनकारियों की उम्मीदों को झटका लगा। इसके बाद आंदोलनकारियों ने नया रास्ता ढूंढा।

वोटिंग में सबसे ऊपर आया पूर्व जस्टिस सुशीला कार्की का नाम
Gen Z आंदोलनकारियों ने 10 सितंबर को एक वर्चुअल मीटिंग की, जिसमें हजारों नौजवानों ने भाग लिया और उसमें वोटिंग कराई गई। असल में इरादा अपना नेता चुनना था, जो कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर देश की बागडोर संभाल सके। इस सिलसिले में सबसे ऊपर नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जस्टिस रही सुशीला कार्की का नाम सामने आया। लेकिन अब सामने आ रही खबर के मुताबिक उनके नाम को लेकर भी सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है।
सुदन गुरुंग और रबि लमिछाने का नाम भी है चर्चे में
वैसे इस मामले में बाकी के दो नाम सुदन गुरुंग और रबि लमिछाने का है। लेकिन इन दोनों में भी नेपाल की बागडोर किसके हाथों में होगी, ये फिलहाल साफ नहीं है। नेपाल ने लोग नए सिरे से चुनाव की मांग तो जरूर कर रहे हैं, लेकिन चुनाव कराने तक देश को एक नेता की जरूरत है। उधर, देश के ज्यादातर नेता हमले और हत्या के डर से या तो भाग गए हैं या फिर कहीं छुप गए हैं। यहां कि राष्ट्रपति और निवर्तमान पीएम तक को आर्मी हेडक्वार्टर में शरण लेनी पड़ी है।
नेपाल में फिर से उठने लगी राजशाही बहाल करने की मांग
फिलहाल, नेपाल की मौजूदा कहानी का लब्बोलुआब ये है कि नेपाल की अगुवाई करने वाले चार नाम तो सबके सामने हैं। लेकिन इन नामों पर Gen Z आंदोलनकारी एक राय नहीं हैं। ऐसे में अब कुछ लोग नेपाल में लोकतंत्र की जगह फिर से राजशाही बहाल करने की मांग करने लगे हैं। करीब 3 करोड़ की आबादी वाले इस देश का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है। आंदोलन तो हो गया। अब धीरे-धीरे आंच ठंडी भी पड़ने लगी, लेकिन आगे क्या होगा.. कोई नहीं जानता।
