
मकर संक्रांति पर महाकुंभ में विशेष स्नान
Mahakumbh – उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सनातन धर्म के सबसे बड़े इवेंट यानी कुंभ मेला दिव्य और भव्य तरीके से चल रहा है। इस कुंभ में 6 शाही स्नान होने हैं और सभी स्नान की अपनी खूबी है, अपनी महत्ता है। इन खासियतों के बारे में आज आपको बताएंगे। लेकिन पहले ये जान लीजिए कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर प्रयागराज में गंगा नदी में महाकुंभ के दौरान अब तक 1.38 लोगों ने डुबकी लगाई है। इनमें नागा साधुओं और सन्यासियों के साथ-साथ आम लोगों की भी एक बड़ी तादाद है।
मकर संक्रांति पर स्नान का विशेष महत्व

Mahakumbh – महाकुंभ में मकर संक्राति के दिन होने वाले स्नान की विशेष धार्मिक महत्ता है। ऐसे में इस अमृत स्नान के लिए मंगलवार को कई किलोमीटर लंबी लाइनों में श्रद्धालुओं को अपनी बारी का इंतजार करते हुए देखा गया। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने इस बार कुंभ मेले के लिए अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। इसे डिजिटल महाकुंभ का नाम दिया गया है। होटल, रूट, पार्किंग से लेकर सिक्योरिटी जैसी बेसिक चीजों के लिए अलग-अलग स्कैन कोड सरकार की ओर से जारी किए गए हैं, जिन्हें मोबाइल से स्कैन कर श्रद्धालु बड़ी आसानी से मनचाही जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा सुरक्षा के जो इंतजाम हैं, वो तो हैं ही।
144 साल बात आया महाकुंभ
Mahakumbh – प्रयागराज का ये महाकुंभ 144 सालों के बाद आया है। जो 13 फरवरी से शुरू हो कर 26 फरवरी तक चलने वाला है। खास बात ये है कि ये सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है। बल्कि इस आयोजन के पीछे ग्रह नक्षत्रों की स्थिति का पूरा गणित होता है। जिसके आधार पर तिथि का निर्धारण किया जाता है। कुंभ के चार प्रकार हैं। कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ। इस बार का संयोग कितना खास है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस बार प्रयागराज में महाकुंभ हो रहा है।
6 प्रकार के शाही स्नान और उनकी तिथियां
Mahakumbh – अब आइए जल्दी से जान लेते हैं कि इस बार होने वाले 6 शाही स्नान कब कब हैं? और कब-कब गंगा नदी में डुबकी लगाना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत उपयोगी होने वाला है। पहला शाही स्नान 13 को पौष पूर्णिमा के दिन, दूसरा स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन, तीसरा स्नान मौनी अमावस्या को 29 जनवरी के दिन, चौथा स्नान वसंत पंचमी को 3 फरवरी के दिन, पांचवां स्नान माघी पूर्णिका को 12 फरवरी के दिन और छठा और आखिरी स्नान महाशिवरात्रि को 26 फरवरी के दिन है।
महाकुंभ में 13 अखाड़ों से जुड़े हजारों साधु संत पहुंच हैं, जो 17 किस्म के श्रृंगार करके इस उत्सव में भाग ले रहे हैं। साधु सन्यासी शाही, राजसी और अमृत स्नान करते हैं। कुल मिलाकर, ये एक ऐसा अद्भुत आयोजन है, जिसे देख कर भारत में रहने वाले लोग ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया अभिभूत हो जाती है।