Lufthansa Flight Pilot -ये एक ऐसी कहानी है जिसके बारे में जान कर आप कांप उठेंगे। कुछ देर के लिए शायद ये सोचने भी लगें कि पता नहीं अगली बार फ्लाइट से ट्रैवल करना भी चाहिए या नहीं? मामला 17 फरवरी 2024 का है, जब जर्मनी की एयरलाइंस लुफ्थांसा का एक हवाई जहाज करीब 10 मिनट तक ऑटो-पायलट मोड में हवा में उड़ता रहा और कॉकपिट में बैठा इकलौता पायलट बेहोश हो चुका था। जी हां, यानी प्लेन सिर्फ ऑटो-पायलट मोड पर ही नहीं था बल्कि जो पायलट था, उसका भी कॉकपिट में अपनी सीट पर होना और नहीं होना बराबर था। इस फ्लाइट में कुल 199 मुसाफिर सवार थे।
Lufthansa Flight Pilot- कॉकपिट अंदर से बंद और अंदर अकेला बैठा को-पायलट बेहोश
लेकिन आखिर ये हुआ कैसे? आखिर कैसे पायलट ने फिर से हवाई जहाज पर अपना नियंत्रण वापस पाया? आइए आपको इस कहानी का ये बेहद डरावना मगर रोमांचक पहलू भी बताते हैं। एयरबस A321 कुल 199 पैसेंजर्स को लेकर अपनी उड़ान पर था। बीच रास्ते में फ्लाइट के मुख्य पायलट यानी कैप्टन को वॉशरूम जाने की जरूरत महसूस हुई। वो अपनी सीट से उठ कर बाथरूम गए।

लेकिन जब लौट कर उन्होंने दोबारा कॉकपिट के अंदर जाने की कोशिश की, तो कॉकपिट का दरवाजा अंदर से बंद हो चुका था। वो बार-बार अंदर सिग्नल देते रहे, को-पायलट से कॉकपिट का दरवाजा खोलने की फरियाद करते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
Lufthansa Flight Pilot – सारे इमरजैंसी पासकोड भी हुए नाकाम.. भगवान का था सहारा
असल में हुआ ये था कि अपनी सीट पर बैठा को-पायलट, मेन पायलट यानी कैप्टन के वॉशरूम जाते ही अचानक अपनी सीट पर बैठे-बैठे बेहोश हो चुका था। इसलिए उसे बाहर से पायलट के कॉकपिट का दरवाजा खोलने के लिए दिया गया अलार्म सुनाई ही नहीं दे रहा था, तो वो दरवाजा कहां से खोलता? घबराए पायलट ने अब एक-एक कर कई बार सामान्य पासकोड और इमरजेंसी कोड का भी इस्तेमाल किया। लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
असल में फ्लाइट की कॉकपिट का दरवाजा इतनी आसानी से नहीं खुलता। सुरक्षा कारणों से इसे खोलने के लिए पासकोड और कॉकपिट के अंदर से भी परमिशन की जरूरत पड़ती है। जिससे मामला पेचीदा हो चुका था। इस बीच एक एयरहोस्टेस ने इंटरकॉम से अंदर बेहोश हो चुके को-पायलट से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की। लेकिन बेहोश आदमी भला इंटरकॉम भी कैसे सुनता?
Lufthansa Flight Pilot -10 मिनट बाद अपने आप होश में आ गया को-पायलट
उधर, अंदर से अजीबोगरीब आवाजें आ रही थीं, जो शायद बेहोशी की हालत में को पायल के इधर-उधर हिलने की वजह से आ रही थी। इस हालत में पायलट के साथ-साथ पूरे केबिन क्रू के हाथ पांव फूल गए थे। इस हालत में भयानक एक्सिडेंट हो सकता था। हालांकि फ्लाइट में बैठे तमाम मुसाफिर इस बात से अंजान थे। लेकिन इसे करिश्मा ही कहें या फिर कुछ और करीब 10 मिनट के बाद को पायलट अपने आप होश में आ गया और उसने किसी तरह से कॉकपिट का दरवाजा खोला।
अंदर आते ही पायलट को असली बात समझ में आ गई और उन्होंने फ्लाइट को अपने गंतव्य तक ले जाने से पहले ही स्पेन की राजधानी मैड्रिड में उतारना ठीक समझा। मैड्रिड में को-पायलट को तुरंत अस्पताल ले जाया गया और अच्छी तरह जांच की गई। पता चला कि गुमनाम दिमागी बीमारी के चलते अचानक सीट पर बैठे-बैठे वो होश खो बैठे थे और ऐसा तब हुआ, जब पायलट भी अपनी सीट से उठ कर कॉकपिट से बाहर वॉशरूम में गए थे।
आप चाहें तो इस सिलसिले में इकोनॉमिक टाइम्स की ये रिपोर्ट भी पढ़ सकते हैं-
https://economictimes.indiatimes.com/
जावेद अख्तर ने पाकिस्तान पर ऐसा क्या कह दिया कि जल-भुन गए पाकिस्तानी? पढ़ें-
https://newschronicles.in/javed-akhtar-on-pakistan-7784-2/
इस मामले की जांच कर रही कमेटी ने ये माना है कि अगर पहले से किसी को ऐसी कोई बीमारी ना हो, तो अचानक होनेवाली ऐसी मेडिकल परेशानी के बारे में पहले से अंदाजा लगा पाना थोड़ा मुश्किल होता है। खबरों के मुताबिक मीडिया ने लुफ्तांसा से भी इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन एयरलाइंस का कहना था कि वो इस मामले में सामने आई जांच रिपोर्ट से अलग कोई भी बात नहीं करना चाहते हैं।