Kaushambi snake news: यूपी के कौशांबी जिले में एक लड़की को कथित तौर पर करीब 40 दिनों में 10 बार डसने वाले सांप को आखिरकार सपेरों ने काबू कर लिया। मामला सिराथू इलाके के भैंसपहार गांव का है। यहां रहने वाली 15 साल की एक बच्ची और उसके घर वालों का कहना है कि पकड़ा गया सांप बार बार बच्ची को काट रहा था।
22 जुलाई से शुरू हुआ सांप काटने का सिलसिला
लड़की ने जो कहानी सुनाई है उसके मुताबिक उसे सबसे पहले इस सांप ने तब डसा था, जब वो 22 जुलाई को अपने खेत में जा रही थी। इसके बाद तो हर कुछ दिन के अंतराल पर सांप उसे डसने लगा और हर बार घर वाले उसे झाड़फूंक के लिए ले जाते रहे। इसके बाद हालत ये हुई कि घर वाले अपनी बेटी को मुसीबत से निकालने के लिए किसी रिश्तेदार के घर चले गए और वहीं रह रहे थे।
बच्ची के घर से मिला काला नाग, सपेरों ने पकड़ा
हालांकि बाद में बच्ची के पिता ने अपने घर में एक सांप देखा और सपेरों को इसकी जानकारी दी, जिसे सपेरों ने पकड़ लिया। आजतक ने बताया है कि इस सांप को काबू करने में सपेरों को 5 घंटे का समय लगा। इस मामले की जो तस्वीरें सामने आई है, उसमें सपेरे को एक काले नाग को काबू करते हुए देखा जा रहा है। जो इस बात का प्रमाण है कि बच्ची को इस काले नाग ने 10 बार तो क्या एक बार भी नहीं काटा होगा। क्योंकि नाग सांप काफी जहरीला होता है और इसके काटने के बाद समय पर इलाज नहीं मिलने से जान भी चली जाती है।
आखिर क्या है बार बार एक ही सांप के काटने का सच?
अब सवाल है कि फिर बच्ची की सांप काटने वाली स्टोरी का सच क्या है? तो जवाब है कि ये संभावित ‘स्नेक फोबिया’ का मामला है जिसमें किसी इंसान के दिल में सांप का डर इस कदर घर कर जाता है कि उसे लगता है कि उसे बार बार सांप काट रहा है। ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। पिछले साल यूपी के फर्रुखाबाद में एक लड़का ऐसे ही ‘स्नेक फोबिया’ का शिकार हो गया था, जिसने बार बार खुद को सांप काटने की शिकायत की थी। हालांकि बाद में मनोवैज्ञानिक जांच में सच सामने आया।
एक और केस स्टडी से समझें क्या होता है ‘स्नेक फोबिया’
अभी हाल ही में राजस्थान के पाली में एक महिला ने कुछ ऐसा ही दावा किया था, जिसमें वो शिकायत कर रही थी कि उसे बार बार एक ही सांप काट लेता है। वो हर बार अस्पताल में भर्ती होती और ठीक होकर वापस चली आती। जबकि सांप का जहर बहुत खतरनाक होता है।
इतनी बार किसी को सचमुच कोई जहरीला सांप काट ले तो शायद उसका बचना ही मुश्किल हो जाए। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि पीड़ित इंसान को एक बार किसी जहरीले या गैर जहरीले सांप ने डसा होता है और फिर वो ‘स्नेक फोबिया’ का शिकार हो जाता है।
