
Justice Verma Case: आपको याद होगा दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज यशवंत वर्मा को लेकर कुछ समय पहले 15 मार्च को एक बड़ा खुलासा हुआ था। यशवंत वर्मा के घर में जब आग लगी थी, तब उनके घर के स्टोर रूम से भारी मात्रा में जले हुए नोट बरामद हुए था। कुछ पूरी तरह जल चुके थे, कुछ आधे जले हुए थे। उसी नोट कांड को लेकर अब जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने की शुरुआत हो चुकी है।
लोक सभा और राज्य सभा के जजों ने दिया प्रस्ताव
मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद 145 लोक सभा सांसद और 54 राज्य सभा सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्य सभा अध्यक्ष यानी उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को ज्ञापन सौंपे। इसी के साथ महाभियोग की कार्रवाई की शुरुआत हो गई।
इन प्रमुख दलों ने किया महाभियोग का समर्थन
संविधान के अनुच्छेद संख्या 127,217 और 218 के मुताबिक लाए गए इस प्रस्ताव को बीजेपी, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू और सीपीएम समेत कई दलों का सपोर्ट मिला।
ये हैं महाभियोग के नियम
उपराष्ट्रपति ने संविधान के हवाले से जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाने के लिए राष्ट्रपति के आदेश के बाद लोक सभा के कम से कम 100 और राज्य सभा के कम से कम 50 सांसदों की ओर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर की दरकार होती है। प्रस्ताव को कबूल करने का फैसला अध्यक्ष और सभापति के पास होता है।
शुरुआती जांच में घिरे थे जस्टिस वर्मा
महाभियोग प्रस्ताव शुरू होने के बाद संसद भी इस मामले की जांच करेगी। पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाए गए पैनल ने ये पाया था कि स्टोर रूम पर जस्टिस और उनके परिवार की ही निगरानी थी। वो जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हालांकि जस्टिस वर्मा ने इस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है।