Hotel restaurant toilet rule: मध्य प्रदेश के भिंड की गिनती देश के छोटे शहरों में होती हैं। लेकिन इसी छोटे से शहर ने पब्लिक अवेयरनेस को लेकर एक ऐसा संदेश दिया है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। हुआ यूं है कि भिंड के जिला शहरी विकास अभिकरण यानी डूडा ने शहर में पड़ने वाले सभी होटल, रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप वालों को पाबंद किया है कि वो आम पब्लिक को अपने यहां टॉयलेट और शौचालय का प्रयोग करने से बिल्कुल न रोकें।
शौचालय के इस्तेमाल के लिए क्या है नया आदेश?
डूडा ने इसके लिए नगर निकाय को निर्देशित किया है और निकाय के इलाके में पड़ने वाले सभी होटल रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप को इस नई व्यवस्था के बारे में सूचित करने को कहा है। इस व्यवस्था के मुताबिक
- जरूरत पड़ने पर आम लोग किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या पेट्रोल पंप के टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकेंगे।
- उन्हें इसके इस्तेमाल से ना तो रोका जाएगा और न ही मना किया जाएगा।
- टॉयलेट में ताला लगा कर रखने या फिर साफ सफाई का ध्यान नहीं देने पर संस्थान को 2 हजार रुपए या फिर उससे भी ज्यादा जुर्माना भरना पड़ सकता है।
डूडा और नगर निकाय को उम्मीद है कि इससे खुली जगहों को शौच या यूरिनेट करने की आदतों में भी कमी आएगी और शहर स्वच्छ रहेगा। नगर निकाय के अधिकारियों ने इस संबंधी आदेश को पारित करने के साथ साथ शहर में घूम घूम कर होटल, रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंपों का जायजा लिया और उन्हें टॉयलेट की व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा।
होटल, रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप पर टॉयलेट यूज को लेकर क्या कहता है कानून?
अब सवाल ये है कि आखिर ऐसी जगहों पर टॉयलेट के इस्तेमाल को लेकर कानून क्या कहता है? इंडियन सराय एक्ट 1867 के तहत आम लोगों को किसी भी रेस्टोरेंट या होटल में वॉशरूम के इस्तेमाल से नहीं रोका जा सकता। इस एक्ट की धारा 7 (2) लोगों को ये अधिकार देता है। यही कानून पेट्रोल पंपों पर भी लागू होता है। हालांकि केरल के कुछ पेट्रोल पंप मालिकों ने इस एक्ट को चैलेंज कर अपनी मुश्किलें गिनाई थी। जिसके बाद तिरुअनंतपुरम में केरल हाई कोर्ट ने पेट्रोल पंप के लिए व्यवस्था दी थी कि उनके टॉयलेट का इस्तेमाल सिर्फ उनके ग्राहक कर सकेंगे। हर कोई नहीं।
केरल में पेट्रोल पंपों के लिए है अलग व्यवस्था
लेकिन जाहिर है ये व्यवस्था सिर्फ केरल के लिए है। देश के बाकी हिस्सों में सराय एक्ट अब भी आम लोगों को ऐसे संस्थानों में टॉयलेट के इस्तेमाल की छूट देता है। फिर चाहे वो वहां ग्राहक हों या हों। लेकिन ज्यादातर जगह या तो लोग अपने इस अधिकार के बारे में नहीं जानते या फिर संस्थान उन्हें अपने यहां टॉयलेट के इस्तेमाल की छूट नहीं देते। लेकिन अब भिंड नगर निकाय की पहल ने लोगों के लिए एक नया रास्ता जरूर खोला है।
(तस्वीर प्रतीकात्मक)
