hmpv- नए वायरस का किडनी पर भी हो सकता है असर, बचके रहना

hmpv यानी कोरोना से मिलते जुलते ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस का अटैक अब भारत पर भी हो चुका है। लेकिन अब इस वायरस ने जो रंग दिखाना शुरू किया है, उसे लेकर बेहद सावधान रहने की जरूरत है। अब तक ये माना और समझा जा रहा था कि HMPV का शिकार बनने वाले लोगों को सांस लेने संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन अब ये पता चला है कि इस वायरस का असर सिर्फ श्वसन संबंधी मामलों पर नहीं बल्कि इंसान की किडनी पर भी पड़ सकता है।

रिसर्च में hmpv को लेकर बड़ा खुलासा
हिंदुस्तान टाइम्स (https://www.hindustantimes.com) ने अपनी एक रिपोर्ट में सिलिगुड़ी पश्चिम बंगाल के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ बी विजयकिरण के हवाले से बताया है कि ये वायरस एक्यूट किडनी इंजरी यानी एकीआई के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। डॉ विजयकिरण कहते हैं कि HMPV को लेकर गए एक अध्ययन में साफ हुआ है कि इस असर किडनी हेल्थ से भी जुड़ा है। HMPV का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती कई बच्चों में इसका असर उनकी किडनी तक में देखने को मिला है। रिसर्च से पता चलता है कि किडनी संबंधी समस्या उम्र से भी जुड़ी है और ये जरूरी नहीं कि किडनी इंजरी के मामला श्वसन संबंधी दिक्कतों से भी जुड़ा हो। कहने का मतलब ये कि ये समस्या अलग-अलग भी आ सकती हैं।

hmpv- ट्रांसप्लांट वाले मरीज़ों में खतरा ज्यादा
किडनी और फेफड़ा ट्रांसप्लांट करा चुके मरीजों के लिए HMPV वायरस का खतरा और ज्यादा है। ऐसा इलाज जिसका असर इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता हो, वो इस वायरस से पैदा होने वाले जटिलताओं को और बढ़ा सकता है। डॉक्टरों की मानें तो HMPV का शिकार बनने वाले लोगों को खांसी, बुखार, गले में खराश, बहती नाक या फिर नाक बंद होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जो इस बीमारी के लक्षण भी हैं।

आखिर क्या है ये hmpv?
अब आइए समझते हैं हि आखिर ये HMPV वायरस है क्या? ये कॉमन रेस्पीरेटरी वायरस है, जिसके लक्षण मामूली सर्दी जुकाम जैसे ही होते हैं। इंसानों के दरम्यान ये वायरस साल 1970 से ही रहा है। ये और बात है कि पहली बार इस वायरस की पहचान करने में वैज्ञानिक साल 2001 में कामयाब हुए। ये वायरस दुनिया भर में 4 से 16 फीसदी मरीजों के लिए गंभीर सांस संबंधी संक्रमण की वजह बनता है। जो आम तौर पर नवंबर और मई के महीनों के दरम्यान होता है। इस वायरस का शिकार बनने वाले बच्चों के लिए ये ज्यादा खतरनाक होता है। खास कर उन बच्चों के लिए जो पहली बार इसका शिकार बन रहे हैं। क्योंकि बड़े लोग अक्सर इस वायरस के संक्रमण का पहले ही सामना कर चुके होते हैं और उनमें इसे लेकर इम्युनिटी भी डेवलप हो चुकी होती है। ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी कम है, उनके लिए ये वायरस परेशानी का सबब बन सकता है।

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