
HC Judge Cash. जज यशवंत वर्मा.
HC Judge Cash – दिल्ली के हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर नोटों के ढेर मिलने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में तीन अलग-अलग पहलू सामने आए हैं। जिन पर गौर करना बहुत जरूरी है। पहला पहलू सुप्रीम कोर्ट का है। दूसरा उस फायर डिपार्टमेंट का जिसके हवाले से पहली बार नोट मिलने की बात सामने आई और तीसरा पहलू है इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का। तो आइए अब सिलसिलेवार तरीके से तीनों पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं। (HC Judge Cash)
HC Judge Cash – केस में सुप्रीम कोर्ट का पहलू जानिए
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले पर अपनी बात कही है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में सभी को सुनी सुनाई बातों और अफवाहों से बचना चाहिए। जस्टिस वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की ओर से इन हाउस जांच की जा रही है और फिलहाल उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया है। इन हाउस जांच की रिपोर्ट भी आनेवाली है। इस बीच ये भी बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगी है। यानी खबर के सामने आने के बाद बाद अब जांच की बात सामने आई है।
HC Judge Cash मामले में फायर डिपार्टमेंट का इनकार
उधर, जिस फायर डिपार्टमेंट के हवाले से पहली बार जज के घर में कैश मिलने की बात कही जा रही थी, उसी फायर डिपार्टमेंट ने अब कैश की बात से ही साफ इनकार कर दिया है। दिल्ली फायर सर्विस के चीफ अतुल गर्ग ने कहा है कि उनके कर्मचारियों को जज के घर में कोई कैश नहीं मिला। इस मामले में आग बुझाने की खबर उनके महकमे की ओर से पुलिस को दे दी गई थी। अब सवाल ये उठता है कि जब फायर कर्मियों को कैश मिला ही नहीं, तो फिर ये बात शुरू कैसे हुई? कोलेजियम की मीटिंग हुई क्यों? ट्रांसफर और जांच क्यों हुए?
इस सिलसिले में न्यूज क्रॉनिकल्स की ये रिपोर्ट देखिए-
https://newschronicles.in/hc-judge-5507-2/
HC Judge Cash वाले मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का पहलू
जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजे जाने की खबर से वहां का बार एसोसिएशन भिन्नाया हुआ है। जस्टिस वर्मा पहले वहीं होते थे। वहां से दिल्ली भेजे गए थे। अब उन्हें फिर से वहां भेजा जा रहा है। जिस पर एसोसिएशन ने कहा है, क्या हम कूड़ेदान हैं कि जस्टिस वर्मा को यहां भेज दिया जाए। जब जस्टिस पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं, तो मामले की जांच पहले होनी चाहिए। एसोसिएशन ने कहा है कि कोलेजियम ने अगर ये फैसला वापस नहीं लिया, तो वो काम बंद कर देंगे।
वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने इस सिलसिले में एएनआई का एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया है। आप वो देखें-
https://x.com/milindkhandekar/status/
जाहिर है… फिलहाल इस मामले में असमंजस के हालात हैं। क्योंकि हर कोई अपनी-अपनी बात रख रहा है। सुप्रीम कोर्ट का अपना पक्ष है। बार एसोसिएशन का अपना और फायर डिपार्टमेंट ने तो खैर कैश की बात से ही मना कर दिया है। सच क्या है? सामने आना बाकी है।
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