
Gurugram News. ज्योति की जान लेकर सदमे में दिखा केतन.
Gurugram News : बात 6 जुलाई, रविवार की है। शाम के वक्त गुरुग्राम की राजेंद्र पार्क पुलिस थाने में एक शख्स हांफता हुआ पहुंचा। आते ही उसने कहा, “मैंने अपनी पत्नी को मार दिया है। आप चल के लाश बरामद कर लीजिए।” ये सुन कर थाने की ड्यूटी ऑफिसर अंदर से हिल गई। लेकिन अभी वो मामला समझ पाती, तब तक पीछे-पीछे उस नौजवान के बुजुर्ग पिता भी थाने आ पहुंचे, जिन्होंने तस्दीक की कि वाकई उनके बेटे ने अब उनकी बहू की जान ले ली। इसके बाद बड़े अफसरों को खबर दी गई। मामले की जांच शुरू हुई।
“पापा मैं आपका नालायक बेटा हूं, हो सके तो..”
मुल्जिम यहां खुद ही चल कर थाने पहुंचा था और अपना जुर्म कबूल कर रहा था। तो उसकी धर पकड़ के लिए अब पुलिस को कहीं भागने की जरूरत नहीं। लेकिन पुलिस उस शख्स के घर जरूर गई और वहां से लाश को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल में भिजवा दिया। इधर, थाने में बाप-बेटे की आंखों के लगातार आंसू बहे जा रहे थे। बेटा अपने पिता से कह रहा था, “पापा, मैं आपका नालायक बेटा हूं। हो सके तो मुझे माफ कर दीजिए। मेरी वजह से आज आपको ये दिन देखना पड़ा।”
लव मैरिज की और मां-बाप को मरा बता दिया
मामूली घरेलू झगड़े कब खूनी जंग में तब्दील हो जाएं, ये कह पाना मुश्किल है। गुरुग्राम के कहानी कुछ यही कहती है। केतन जेवर एयरपोर्ट के कार्गो डिपार्टमेंट में काम करता था, जबकि उसकी पत्नी ज्योति भी पहले नोएडा के किसी ऑफिस में काम करती थी। नोएडा में ही काम के दौरान करीब छह साल पहले दोनों की मुलाकात हुई और ज्योति ने अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ ना सिर्फ केतन से शादी कर ली, बल्कि अपने ससुराल वालों को बताया कि उसके माता-पिता, भाई बहन कोई भी नहीं हैं।
मासूम बेटी को पीटने से बढ़ गई लड़ाई
वक्त आगे बढ़ा। ज्योति अब दो बच्चियों की मां थी। लेकिन छोटी-मोटी बात पर अब उसकी अक्सर केतन से लड़ाइयां हुआ करती थीं। दिक्कत ये थी कि ज्योति ने अपने मायके वालों को जीते-जी मार दिया था। ऐसे में उसके पास लड़ाई झगड़े के बाद दो-चार दिनों के लिए कहीं जाने और अपना दुख बताने की भी कोई जगह नहीं बची थी। लिहाजा पति पत्नी के बीच होने वाले झगड़े का गुस्सा अक्सर ज्योति अपनी बच्चियों पर उतारती थी। रविवार शाम को भी कुछ ऐसा ही हुआ। लड़ाई हुई, तो ज्योति ने अपनी बेटी को पीटना शुरू कर दिया।
चंद सेकेंड्स में केतन ने ले ली ज्योति की जान
अब केतन को गुस्सा आ गया। उसने ज्योति को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। लेकिन ज्योति कुछ इतने गुस्से में थी कि उसने केतन ही एक झन्नाटेदार चांटा लगा दिया। बस, फिर क्या था? केतन के अंदर का शैतान जाग गया और उसने घर में पड़े पाजामे की डोरी से ज्योति का गला घोंटा और तब तक घोंटता रहा, जब तक कि वो ठंडी नहीं पड़ गई। शैतान होता ही कुछ ऐसा है। जब ज्योति की मौत हो गई, तो उसे अपने किए का अहसास हुआ। इसके बाद उसने अलग रहने वाले अपने पिता और दूसरे घरवालों की इस खबर दी और खुद थाने पहुंच गया।
जब घरवालों ने लाश लेने से कर दिया इनकार
आगे की कहानी तो आप सुन चुके हैं, लेकिन इस कहानी अभी एक और भी पहलू ऐसा था, जो आपको चौंका सकता है। मामले की जांच करती हुई पुलिस जब ज्योति और केतन के घर पहुंची, तो वहां उन्हें एक डायरी में एक नंबर लिखा हुआ मिला। ये नंबर किसी और का नहीं, बल्कि ज्योति के भाई था। जो अपने माता-पिता के साथ दिल्ली के ही बिंदापुर में रहता था। दो दिन बाद मंगलवार पुलिस ने ज्योति के भाई को फोन किया। पुलिस चाहती थी कि कम से कम ज्योति के मायके वाले अपनी बेटी की लाश ले जाएं और उसका अंतिम संस्कार करें।
“ज्योति तो हमारे लिए कब की मर चुकी..”
लेकिन उधर से जवाब मिला, “कौन ज्योति? अच्छा.. वो ज्योति.. वो तो हमारे लिए छह साल पहले ही मर चुकी है। वो तो उसी रोज मर गई थी, जिस रोज उसने हमारा घर छोड़ा और जाते-जाते हमसे कह गई कि आप सब आज से मेरे लिए मर गए।” गुस्से में कही गई ज्योति की इन बातों को मानों उसके मायके वालों ने भी दिल से लगा लिया। इसके बाद शादी के छह सालों में एक बार भी ना तो ज्योति कभी मायके गई और ना ही मायके वालों ने ज्योति से संपर्क साधने की कोशिश की। जबकि दोनों दिल्ली-एनसीआर में ही रहते रहे। अब ज्योति तो चली गई, लेकिन गम और गुस्सा अब भी बाकी है..
फिलहाल, बेटा जेल में है। बहू की मौत हो चुकी है। दो छोटी-छोटी बच्चियों की परवरिश की जिम्मेदारी केतन के बुजुर्ग पिता डॉ विनोद कुमार पर आन पड़ी है।