GST 2.0 reforms: भारत में छोटी कार खरीदने का सपना जल्द ही और आसान हो सकता है। सरकार के नए जीएसटी सुधार प्रस्तावों के मुताबिक, छोटी कारों की कीमत में 8% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। यह दावा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंक HSBC की ताजा रिपोर्ट में किया गया है, जिसके मुताबिक सरकार जीएसटी (माल एवं सेवा कर) ढांचे में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रही है।
HSBC रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
HSBC की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अगर अपनी नए प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था को लागू करती है तो छोटी कारें—जो अभी मिडिल क्लास भारतीय परिवारों की पहली पसंद हैं—की कीमत में औसतन 8% तक गिरावट हो सकती है। यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार वाहन क्षेत्र में नई जान फूंकने के लिए इस दिशा में तेजी दिखा सकती है।
ग्राहक और कंपनियां दोनों को फायदा
इस प्रस्ताव का सीधा फायदा आम ग्राहकों को मिलेगा, क्योंकि टैक्स कम होते ही बाजार में कारों की कीमत कम हो जाएगी। ऐसे में जो लोग अब तक बढ़ती कीमतों के कारण कार खरीदने का मन नहीं बना पा रहे थे, उनके लिए यह सुनहरा मौका होगा। साथ ही, ऑटोमोबाइल कंपनियों की बिक्री में भी बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है।
ऑटो सेक्टर के लिए बड़ा मौका
कोरोना महामारी के बाद वाहन क्षेत्र मंदी से जूझ रहा था। यदि यह टैक्स रिफॉर्म अमल में आता है तो डिमांड में इजाफा होगा। इससे इंडस्ट्री में रोजगार के नए अवसर बनने की भी संभावना जताई जा रही है। साथ ही, छोटी कारें उन ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक होंगी, जो महंगाई के समय लागत कारकों को लेकर संकोच में थे।
बजट और घरेलू इकॉनमी में असर
छोटी कारों की कीमत कम होने से परिवारों के बजट पर भी सीधा फर्क पड़ेगा। मिडिल क्लास भारतीयों के लिए नई कार अब सिर्फ सपना नहीं बल्कि हकीकत बन सकती है। साथ ही, घटती कीमतें नए खरीदारों को आकर्षित करेंगी जिससे अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ सकती है।
क्या है सरकार की रणनीति?
सरकार की ओर से फिलहाल आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वाहन सेक्टर में उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए टैक्स स्ट्रक्चर को आसान और तर्कसंगत बनाने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राज्य सरकारों के साथ केंद्र को भी फायदा होगा क्योंकि अधिक बिक्री से टैक्स कलेक्शन में इजाफा संभव है।
कब से मिलेगा लाभ?
अभी तक टैक्स डिपार्टमेंट या जीएसटी काउंसिल ने लागू होने की तारीख को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। परंतु, इंडस्ट्री के जानकारों की मानें तो आगामी बजट या अगले फाइनेंशियल ईयर से इस फायदेमंद सुधार की शुरुआत हो सकती है।
(प्रतीकात्मक तस्वीर। सौजन्य – मेटा एआई)
