
Good News. महाकुंभ में बिछड़े बाप-बेटे का ऐसे हुआ पुनर्मिलन.
Good News – कुंभ के मेले में लोगों के बिछड़ने के किस्से तो हमने बहुत सुने थे। लेकिन ये सोचा था कि इस दौर में जब हर किसी के पास मोबाइल फोन है, तो भला कोई कैसे बिछड़ सकता है? मगर मोबाइल फोन के जमाने में भी ऐसा हो सकता है, ये इन तस्वीरों को देख कर पता चला। सोशल मीडिया पर इन दिनों नामी हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ की एक खबर और उसका वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अपने बुजुर्ग पिता से बिछड़ चुके एक परिवार के पुनर्मिलन यानी रीयूनियन की तस्वीरें हैं, जो किसी का भी दिल छू लेने के लिए काफी हैं। (Good News)
प्रयागराज से गुम हुए बनारस में मिले
वीडियो बनारस का है। वीडियो में दिखता है कि एक बुजुर्ग शख्स एक कमरे में कंबल ओढ़ कर लेटे हुए हैं, तभी उनके बेटा-बहू और घर के बाकी लोग उन्हें लेने के लिए आते हैं। वो बाबा-बाबा की आवाज लगाते हुए बुजुर्ग को उठाते हैं और जैसे ही करीब 12 दिन बाद बुजुर्ग की अपने घरवालों से मुलाकात होती है, हर किसी की आंखें छलक आती हैं। इसके बाद बुजुर्ग का बेटा अपने पिता की गुमशुदगी के बाद की आपबीती सुनाता है। जो काफी मार्मिक है। इस आपबीती के बारे में भी आपको बताएंगे, लेकिन पहले ये जान लीजिए कि आखिर ये बुजुर्ग बिछड़े कैसे?
उम्र ज्यादा होने की वजह से याददाश्त है कमजोर
असल बिहार के शेखपुरा का रहने वाला एक परिवार अपने बुजुर्ग सदस्यों के साथ महाकुंभ में स्नान करने गया था। बेटा अपने 85 साल के बुजुर्ग पिता को लेकर संगम नोज पर त्रिवेणी में स्नान के बाद पिता के कपड़े निचोड़ रहा था। लेकिन तभी भीड़ के चलते बुजुर्ग पिता कहीं खो गए। ज्यादा बुजुर्ग होने की वजह से बुजुर्ग की याददाश्त काफी कमजोर हो चुकी है और वो खुद को ठीक से संभाल भी नहीं पाते। ऐसे में गुमशुदगी के बाद अपने पिता के लिए एक बेटे की तलाश कुछ ऐसी शुरू हुई, जो प्रयागराज से बिहार होते हुए बनारस में आकर खत्म हुई।
सोशल मीडिया पर अमर उजाला का वीडियो देखें-
https://x.com/AmarUjalaNews/status/
घर वाले श्राद्ध करने जा रहे थे तभी मिली खुशखबरी
गुमशुदगी इतनी लंबी हो चली थी कि हार कर परिवार ने ये मान लिया था कि अब उनके पिता जिंदा नहीं हैं। पूरे 12 दिन बाद जब निराश होकर बेटा अपने का श्राद्ध करने जा रहा था, तभी उसे खबर मिली कि उसके पिता बनारस में कहीं रह रहे हैं। इसके बाद परिवार तुरंत उन्हें लेने आ गया। वैसे तो ये एक हैप्पी एंडिंग वाली कहानी है। लेकिन इस कहानी का एक पहलू काफी दुखद और नकारात्मक है। अपने पिता को खोकर पाने वाले शख्स के साथ खुद उसी के कुछ गांव वालों ने ऐसा व्यवहार किया कि उनका दिल टूट गया। बेटे ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब उसके पिता गुम हुए वो उन्हें तलाश रहा था। प्रयागराज में करीब 10 दिनों तक दर-दर भटका। बेटे ने बताया कि उसने भगवान बजरंगबली की काफी पूजा अर्चना की और तब जाकर उनकी मुराद पूरी हुई।
अपने ही गांव वालों के व्यवहार से टूट गया दिल
इसके बाद जब पिता को लिए बगैर गांव पहुंचा, तो वहां लोगों ने उस पर इल्जाम लगाना शुरू कर दिया कि उसने जानबूझ कर अपने पिता को कहीं छोड़ दिया, क्योंकि वो काफी बुजुर्ग हो चुके थे। गांव के कई लोगों ने कहा कि उसके पिता अब मर चुके हैं। इन बातों से बेटे का दिल छलनी हो चुका था। लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। 12 दिनों के बाद किसी जरिए से परिवार को अपने बुजुर्ग पिता की खबर मिल ही गई। वैसे प्रयागराज में बिछड़ने के बाद बुजुर्ग किसके साथ बनारस पहुंचे, कैसे उनके घर वालों को अपने पिता की सटीक जानकारी मिली, ये फिलहाल साफ नहीं है।
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