Bihar Sharif Clock Tower : पूरे बिहार की बेइज्जती करा रहा है 40 लाख का मुजस्समा.. तफरीह का माहौल है..

Bihar Sharif Clock Tower – बिहार के नालंदा जिले के बिहार शरीफ में 40 लाख रुपये की लागत से बना क्लॉक टावर पूरे बिहार की घनघोर बेइज्जती करा रहा है। क्लॉक टावर में लगी दो घड़ियां अपने उद्घाटन के महज 24 घंटे के अंदर ही बंद हो चुकी हैं। ऊपर से क्लॉक टावर की बनावट ऐसी है, जिसे देख कर हर कोई कह रहा है कि इस मुजस्समे पर 40 लाख रुपये का खर्चा रुपयों की बर्बादी के सिवाय और कुछ भी नहीं है। ना तो आस-पास साफ-सफाई है। न कोई सजावट है। ऊपर से क्लॉक टावर की बनावट को देख कर ही समझा जा सकता है कि इसके निर्माण में कितनी रुचि ली गई है और किस स्तर का काम हुआ है। (Bihar Sharif Clock Tower)

Bihar Sharif Clock Tower – अलग-अलग क्लॉक टावर से लोग करने लगे तुलना

लोग अब इसकी तुलना अलग-अलग शहरों में मौजूद ब्रिटिश जमाने के क्लॉक टावर्स से करने लगे हैं और कहने की जरूरत नहीं है कि बिहार शरीफ का क्लॉक टावर पुराने क्लॉक टावर्स के मुकाबले कहीं भी नहीं टिकता है। हद तो ये है कि बिहार शरीफ बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार का गृह क्षेत्र है और जब वहां निर्माण कार्य की ये हालत है, तो बाकी बिहार का आलम क्या होगा, ये समझना मुश्किल नहीं है।

Bihar Sharif Clock Tower
Bihar Sharif Clock Tower. लोग पुराने क्लॉक टावर से कर रहे हैं तुलना.

Bihar Sharif Clock Tower – महीने भर से बंद पड़ी है टावर की दोनों घड़ियां

बिहार शरीफ को स्मार्ट सिटी बनाने के सिलसिले में इस क्लॉक टावर का निर्माण करवाया गया था। लेकिन ये क्लॉक टावर पूरे बिहार की ऐसी घनघोर किरकिरी करवाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा था। फिलहाल हालत ये है कि क्लॉक टावर में लगी दोनों की दोनों घड़ियां पिछले करीब एक महीने से बंद पड़ी है।

Bihar Sharif Clock Tower
Bihar Sharif Clock Tower. ये तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है.

बिहार के लोकल न्यूज पोर्टल ने भी क्लॉक टावर की पोल खोली है-

https://nalandadarpan.com/biharsharif-smart-city-

पढ़ें एक काम की खबर-

https://newschronicles.in/sleeping-late-at-night/

Bihar Sharif Clock Tower – प्रबंधन ने नाकामी का ठीकरा चोरों पर फोड़ा

हालांकि क्लॉक टावर के निर्माण से जुड़े लोगों ने इसका ठीकरा शासन प्रशासन पर फोड़ते हुए ये कह दिया है कि क्लॉक टावर से चोरों ने तार  और घड़ियों को रिले चुरा लिया है, जिससे घड़ियां बंद हो गई हैं। लोग अब इसे स्मार्ट सिटी के नाम पर दिखावा बता रहे हैं। जिस राज्य में जरूरी संसाधनों का इतना टोटा हो, वहां मोबाइल के जमाने में नाला रोड पर बनाए गए इस क्लॉक टावर का वैसे भी कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।

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