Bihar News: अभी कुछ महीने पहले बिहार से एक खबर आई थी कि एक झोला छाप डॉक्टर ने एक महिला के ट्यूमर का ऑपरेशन करने की कोशिश की और धोखे से उसकी दोनों किडनियां निकाल कर कूड़े में फेंक दी।
इसी तरह कुछ रोज पहले इसी बिहार से एक खबर आई थी जिसमें एक लड़के ये यूट्यूब देख कर किसी मरीज के पेट का ऑपरेशन कर डाला था। अब एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने पहले हुईं दोनों वारदातों को कड़ी टक्कर दी है। खबर बिहार के सीतामढ़ी से है।
इलाज के लिए सीतामढ़ी के सरकारी अस्पताल पहुंची थी महिला
यहां नेपाल के चंद्रनिगाहपुर की रहने वाली महिला रोड एक्सीडेंट के बाद इलाज के लिए सीतामढ़ी से सरकारी अस्पताल पहुंची थी। उसके हाथ और पांव दोनों में चोट आई थी। तेज दर्द हो रहा था। अस्पताल पहुंची महिला ने इलाज के लिए पर्ची कटवाई लेकिन तभी एक आदमी उसे अपने साथ अस्पताल से बाहर एक केबिन में लेकर गया। जहां एक डॉक्टर था, जिसने उसका इलाज कर दिया।
जानिए सही सलामत पांव में प्लास्टर की असली कहानी
असल में इलाज के नाम अस्पताल के बाहर मौजूद उस डॉक्टर ने महिला के इन दोनों हाथ और पांव में प्लास्टर चढ़ा दिया, जिसमें चोट लगी थी और उसे दर्द हो रहा था। लेकिन अगले दिन भी जब महिला के हाथ पैर का दर्द ठीक नहीं हुआ तो फिर घर वाले उसे मुजफ्फरपुर के मॉडल अस्पताल लेकर गए। लेकिन जब यहां डॉक्टरों ने महिला की जांच की तो चौंक गए।
एक्सरे करने पर पता चला कि महिला के पांव में प्लास्टर तो यूं ही चढ़ा दिया गया है। पैर की हड्डी तो टूटी ही नहीं है। जांच करने वाले डॉक्टर ज्ञानेंदु शेखर ने पैर का प्लास्टर हटा दिया, जिससे महिला को दर्द से राहत मिली। इसके बाद महिला का और भी जरूरी इलाज किया गया, लेकिन हाथ के साथ साथ पैर में प्लास्टर की इस कहानी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बिहार में झोलाछाप डॉक्टरों ने कैसी अंधेर गर्दी मचा रखी है।