Bihar election: बिहार चुनाव के दिन जैसे जैसे करीब आते जा रहे हैं, राज्य में राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ती जा रही है। चुनाव के सिलसिले में ही बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को बिहार पहुंचे और कार्यकताओं से मिलने के साथ साथ सीट शेयरिंग को लेकर भी अपने सहयोगी दल के नेताओं से चर्चा की।
जब नीतीश कुमार खुद पहुंच गए अमित शाह से मिलने
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार तो सीटों के बंटवारे पर बात करने के लिए खुद ही अमित शाह के पास मौर्य होटल पहुंच गए और दोनों ने चुनाव और सीट शेयरिंग पर तसल्ली से बात की।
नीतीश कुमार के लिए कमिटमेंट शो करना भी है जरूरी
दुनिया जानती है कि एनडीए के साथ जेडीयू का रिश्ता भी काफी उथल पुथल वाला रहा है। नीतीश कुमार कई बार साथ छोड़ चुके हैं। विरोधी उन्हें पलटू राम कह कर चिढ़ाते भी हैं। ऐसे में चुनाव से पहले दोनों नेताओं की ये मुलाकात उस कमिटमेंट की भी निशानी है, जो बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच अब जरूरी है।
बीजेपी की खूबी और कमी जान लीजिए
अगर खूबियों और कमजोरियों की बात करें तो एक तरफ बीजेपी के पास कैडर है, कट्टर समर्थक हैं, वहीं सुशील मोदी के जाने के बाद किसी बड़े चेहरे अभाव है। कम से कम पार्टी ने सियासी समीकरणों को देखते हुए किसी को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट भी नहीं किया है।
एंटी इनकंबेसी से कैसे पार पाएंगे नीतीश?
उधर, नीतीश के साथ एंटी इनकंबेसी है, तो उनकी साफ सुथरी और प्रशासनिक छवि भी है। लेकिन ये सच है कि दोनों ही पार्टियों के लिए अकेले दम पर बिहार की सत्ता हासिल करना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां चुनाव में एक दूसरे का दामन नहीं छोड़ना चाहती। लेकिन दोनों ही तरफ सियासी महत्वाकांक्षा भी कम नहीं है। ऐसे में ये वक्त ऐसा संतुलन साधने की है, जिसमें सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
सीट शेयरिंग के फाइनल फार्मूले पर है सबकी नजर
हिन्दुस्तान अखबार ने भी सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर एक खबर प्रकाशित की है। अब देखना ये है कि आखिर दोनों ही पार्टियां कब तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्लियर करती है। कौन कितना बलिदान देता है और किसे कितना फायदा होता है।
