Anand Mahindra & Anupam Mittal – “बीवी है ही इतनी ख़ूबसूरत, ना देखूं तो क्या करूं?”

Anand Mahindra & Anupam Mittal – “बीवी है ही इतनी ख़ूबसूरत, ना देखूं तो क्या करूं?”

Anand Mahindra & Anupam Mittal – लार्सन एंड टुब्रो यानी L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम के नए बयान ने बवाल खड़ा कर दिया है। सुब्रह्मण्यम ने हाल ही में देश में लोगों से हफ्ते में 90 घंटे तक काम करने की वकालत की और कहा कि आखिर आप कब तक अपनी पत्नी को निहारते रह सकते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं लोगों से रविवार को काम नहीं करा सकता। अगर ये संभव होता, तो मैं जरूर करता। मैं खुद रविवार को भी काम करता हूं।”

सुब्रह्मण्यम के इस बयान पर बवाल होना ही था और हो भी गया। लोगों ने सोशल मीडिया में सुब्रह्मण्यम को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर किसी की अपनी कंपनी होगी, तो वो ऐसा ही करेगा। लेकिन जब आप कहीं नौकरी कर रहे होते हो, तो आपका नज़रिया कुछ और होता है। इस बयान को लेकर तरह तरह के मीम्स भी बनाए और शेयर किए जाने लगे।

आनंद महिंद्रा का वीडियो देखें-

https://x.com/gypsy_nilima/status

लेकिन इस बीच मंहिद्रा एंड महिंद्रा (M&M) के प्रमुख आनंद महिंद्रा और शार्क टैंक जज अनुपम मित्तल ने अपनी-अपनी बातों से इस बहस को नया मोड़ दे दिया है। आनंद महिंद्रा ने मज़ाकिया लहजे में कहा है, “मेरी बीवी खूबसूरत हैं और मैं उन्हें निहारा करता हूं।” जबकि अनुपम मित्तल ने भी हल्के फुल्के माहौल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है, “अगर लोग अपनी बीवीयों और बीवियां अपने पतियों को नहीं निहारेंगे, तो भला हम दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश कैसे बने रह सकेंगे?”

पढ़ें अनुपम मित्तल का मज़ाकिया पोस्ट-

https://x.com/AnupamMittal/status

हालांकि मजाकिया लहजे से अलग आनंद महिंद्रा ने आगे सुब्रह्मण्यम को कर्रा जवाब दिया। एक प्रोग्राम में पत्रकार पालकी शर्मा के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वो इसी मसले पर बातचीत करने से बचना चाहते थे। उन्होंने कहा, “असल में मेरा ध्यान काम के घंटे या काम की क्वांटिटी यानी मात्रा पर नहीं है। बल्कि मैं काम की गुणवत्ता पर जोर देना चाहता हूं। इसलिए मुझसे ना पूछें कि मैं कितने घंटे काम करता हूं।”

आपको याद होगा इससे पहले इंफोसिस के चेयरपर्सन नारायणमूर्ति ने भी काम के घंटों को लेकर सुब्रह्मण्यम जैसा ही एक बयान दिया था, जिसके बाद ज्यादातर लोगों ने उनकी आलोचना की थी। नारायणमूर्ति ने भी काम के घंटे बढ़ाने की वकालत की थी।

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