
AI News. मरनासन्न मरीज में एआई ने फूंकी जान। प्रतीकात्मक तस्वीर। सौजन्य - पेक्सेल्स।
AI News – क्या हो अगर किसी मरीज को डॉक्टर जवाब दे दें और उसे AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ठीक कर दे? जिंदगी अनमोल है, तो इससे बढ़िया क्या हो सकता है कि किसी मरते हुए इंसान को जिंदगी मिल जाए। फिर चाहे वो जिंदगी जैसे भी मिले। कुछ ऐसा ही एक अजीबोगरीब केस अमेरिका में हुआ, जहां एक मरीज को सारे डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। बल्कि मरीज और उसके घरवालों से तो यहां तक कहा गया था कि आप बस ये तय कर लें कि ये मौत आप कहां चाहते हैं? अपने घर में या फिर किसी अस्पताल में? (AI News)
AI News – एआई ने रेयर ब्लड डिजीज से दिलाया ‘छुटकारा’
लेकिन मरीज की गर्लफ्रेंड ने हार नहीं मानी और एक आखिरी कोशिश की और इसी आखिरी कोशिश में कमाल हो गया। 37 साल के जोसेफ कोट्स को एक रेयर ब्लड डिजीज थी। जिसे पीओईएमएस सिन्ड्रोम के नाम से जाना जाता है। बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे उसके हाथ पांव सुन्न पड़ते जा रहे थे। हार्ट यानी हृदय का आकार सामान्य के काफी बड़ा हो गया था। पेट के निचले हिस्से में लगातार काफी पानी भरता जा रहा था और हर रोज़ डॉक्टर कई लीटर पानी निकालने को मजबूर थे।
डॉक्टर उसकी जिंदगी के बाकी बचे दिनों में कुछ दिन बढ़ाने के इरादे से स्टेम सेल ट्रांसफर करना चाहते थे। लेकिन दिक्कत ये थी कि इस बीमारी से शारीरिक तौर पर जोसेफ इतने कमजोर हो चुके थे कि वो स्टेम सेल ट्रांसफर वाला ट्रीटमेंट लेने के लायक भी नहीं बचे थे। ऐसे में सिवाय मौत के सामने और कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। खुद जोसेफ ने हालात के आगे सरेंडर कर दिया था और अपनी मौत की घड़ी का इंतजार कर रहे थे।

AI News – मरीज की गर्लफ्रेंड की कोशिशों से हुआ करिश्मा
मगर जोसेफ की गर्लफ्रेंड टारा थियोबैल्ड हार मानने के लिए तैयार नहीं थी। वो हर हाल में अपने पार्टनर की जिंदगी बचाना चाहती थी। चाहे इसके लिए उसे कुछ भी क्यों ना करना पड़े। इसी कड़ी में टारा थियोबैल्ड को फिलाडेल्फिया के रहने वाले एक डॉक्टर डेविड फैजेनबॉम की याद आई, जिनसे उसकी मुलाकात करीब साल भर पहले एक रेयर डिजीज समिट में हुई थी। बिना वक्त गंवाए जोसेफ की गर्लफ्रेंड टारा थियोबैल्ड ने डॉक्टर डेविड फैजेनबॉम को एक ई-मेल लिखा और मदद मांगी।
अच्छी बात ये रही कि अगले दिन डॉ. डेविड की ओर से टारा को एक जवाबी ई-मेल मिला। जिसमें उन्होंने ऐसी लाइलाज बीमारी के लिए केमोथैरेपी, इम्यूनोथैरेपी और स्टेरॉयड दवाओं के एक कॉम्बिनेशन का सुझाव दिया। खास बात ये थी इन तीन दवाओं की इससे पहले किसी भी मरीज पर कोई टेस्ट यानी जांच नहीं हुई थी। टारा ने जोसेफ को अब डॉ. डेविड के सुझाए गए इन्हीं दवाओं से ट्रीट करने का फैसला किया। जोसेफ को वो दवाएं दी जाने लगीं और महज हफ्ते भर में चमत्कार हो गया।
AI News – एआई के सुझाए दवाओं से ठीक होने लगा मरीज
जोसेफ तेजी से ठीक होने लगे और एक हफ्ते के अंदर उनकी हालत इतनी अच्छी हो गई कि वो स्टेम सेल ट्रांसफर का ट्रीटमेंट रिसीव करने की हालत में पहुंच गए। लेकिन आखिर ये कैसे मुमकिन हुआ? एक ऐसा मरीज जिसे ठीक करने के मामले में अच्छे से अच्छे डॉक्टर्स ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए थे, वो आखिर इन दवाओं के कॉम्बिनेशन से कैसे ठीक हो गया? आखिर इन दवाओं का कॉम्बिनेशन डॉ डेविड को कहां से पता चला? तो जवाब है AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से। डॉ. डेविड ने ये कॉम्बिनेशन AI के एक मॉडल से हासिल किया था।
आप इस सिलसिले में न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं-
https://www.nytimes.com/2025/03/20/well/
वैसे ये अपने तरह की बेशक एक अनोकी केस स्टडी हो। लेकिन फिलहाल दुनिया भर में डॉक्टर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे लाइलाज बीमारियों का इलाज ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर हर तरफ रिसर्च की जा रही है। इस रिचर्स में अब तक मौजूद दवाओं के सहारे ही ऐसी बीमारियों का काट खोजने के प्रयास चल रहे हैं। हालांकि अलग-अलग दवाओं के कॉम्बिनेशन से किसी मरीज को ट्रीट करने का ये आइडिया नया नहीं है, लेकिन AI के आ जाने से इस रिसर्च में तेजी जरूर आ गई है।