
Mainpuri Family Suicide. एक ही परिवार के लोग क्यों रह रह कर दे रहे हैं जान? एक प्रतीकात्मक तस्वीर. सौजन्य- पेक्सेल्स.
Mainpuri Family Suicide – कुछ मामलों के रहस्य समझ से परे होते हैं या फिर आसानी से समझ में नहीं आते। यूपी के मैनपुरी जिले के गांव सकत के एक परिवार का ये मामला कुछ ऐसा ही है। इस परिवार के 7 लोगों ने पिछले 10 सालों में अलग-अलग वजहों से और अलग-अलग तरीकों से खुदकुशी कर ली है। जबकि अगर पिछले 17 सालों का आंकड़ा देखे तो इस परिवार में 10 लोग ऐसे हैं जिन्होंने जान दी है। अब सवाल है कि आखिर इस परिवार में ऐसा क्या है कि लोग रह-रह कर मौत को गले लगा रहे हैं? कोई मानसिक बीमारी, कोई ऊपरी साया, किसी की साजिश.. या फिर कुछ और?
सबसे नई खुदकुशी पर भी रहस्य की चादर
फिलहाल इस परिवार में हुई खुदकुशी की सबसे नई वारदात के बाद अब हर कोई इन्हीं सवालों के बीच उलझा है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ये हो क्या रहा है? शनिवार को इस परिवार का जवान बेटा जीतेंद्र अपने घर से जामुन खाने की बात कह कर बाहर निकला था। जाते हुए वो अपने साथ अपनी बहन का दुपट्टा भी ले गया और उसी दुपट्टे से उसने एक पेड़ की डाली से फंदा लगा कर जान दे दी। जब वो देर तक घर नहीं लौटा और लोगों ने उसकी तलाश शुरू की, तो फंदे से जीतेंद्र की लाश लटकती देख कर लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई। जीतेंद्र ने क्यों जान दी? ये कोई नहीं जानता।
परिवार में जान देने का रहा है इतिहास
आइए इस परिवार में कब-कब किस-किसने जान दी, जल्दी से उस पर एक नजर डालते हैं।
- जीतेंद्र की खुदकुशी से ठीक 21 दिन पहले उसके चाचा बलवंत ने भी ऐसी ही खुदकुशी कर ली थी
- चार महीने पहले जीतेंद्र की सगी बहन ने भी अपने घर के अंदर फंदा लगा कर खुद को खत्म कर लिया था
- साढ़े चार महीने पहले जीतेंद्र के चचेरे दादा शेर सिंह ने भी फंदा लगा कर मौत को चुन लिया
- उसके चाचा मनीष ने 2020 में फंदा लगा कर आत्महत्या की थी
- 8 साल पहले जीतेंद्र के और चाचा पिंटू ने तो आत्मदाह ही कर लिया था
- जबकि 10 साल पहले एक और चाचा संजू ने कोई जहरीली चीज खा कर दुनिया छोड़ दी थी
- अगर इससे पहले पहले की बात करें तो इसी परिवार के सूरजाल, महिलपाल और राम सिंह ने आत्महत्या की
अब लोगों के लिए ये बातें समझ से परे हैं। क्योंकि ज्यादातर मामलों में मरने वालों ने ना तो किसी से अपनी किसी मानसिक परेशानी का जिक्र किया और ना ही कोई सुसाइड नोट ही लिखा। ऐसे में खुदकुशी के मामला साल दर साल बढ़ते रहे और मौत की वजहों पर साल दर साल रहस्य की परत भी मोटी होती रही। जीतेंद्र के आत्महत्या कर लेने के बाद पूरा परिवार गहरे शोक में डूब गया। उसकी मां विलाप करती हुई ऊपर वाले से सवाल पूछने लगी कि भगवान ऐसा क्या हो गया कि ये सिलसिला नहीं थम रहा? क्यों एक-एक कर घर के लोग जान दे रहे हैं? पहले उनकी बेटी चली गई और अब बेटे को भी छीन लिया.. ऐसा क्यों?
अगर किसी को सुसाइडल थॉट आते हैं, तो नीचे दिए गए वेबसाइट पर जाएं, कॉल करें. जिंदगी अनमोल है. याद रखें-
मानसिक बीमारी, ऊपरी साया, साजिश या फिर कुछ और? कई सवाल..
हालांंकि कुछ मनोचिकित्सक मानते हैं कि इसके पीछे डिप्रेशन या स्किजोफ्रेनिया जैसी बीमारी की वजह हो सकती है। डिप्रेशन में इंसान गहरे अवसाद में होता है और कई बार उसके मन में सुसाइड थॉट आते रहते हैं, जो आखिरकार उनकी जान देने की वजह बनते हैं। जबकि स्किजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान काल्पनिक दुनिया में जीता है। कई बार अपने आस-पास खतरा महसूस करता है और उस खतरे का हल उसे खुदकुशी में नजर आता है। फिलहाल, मैनपुरी पुलिस इस रिसेंट इंसीडेंट को सुलझाने की कोशिश कर रही है। देखिए क्या निकलता है।