Jharkhand News : कमजोर दिल वाले इस खबर को ना पढ़ें.. झारखंड में क्यों हुआ एक पुतले का अंतिम संस्कार?

Jharkhand News – जिंदगी कई बार इंसान से इतना सख्त इम्तेहान लेती है कि इंसान को समझ ही नहीं आता कि वो करे तो क्या करे? ये कहानी है झारखंड के सुदूर जिले गुमला की। जहां के रहने वाले एक नौजवान अनुज की मौत तेलंगाना में हो गई। लेकिन उस मौत को 80 दिनों का वक्त गुजरने के बाद भी जब लड़के की लाश नहीं मिली, तो हार कर उसके घर वालों ने उसकी लाश की जगह लड़के का एक पुतला बना कर ही उसका अंतिम संस्कार डाला।

यकीनन ये एक बेहद तकलीफ स्थिति थी। जिसमें घर वालों के लिए अपनी भावनाओं पर काबू पाना भी मुश्किल था। लेकिन होनी के आगे भला किसका जोर चलता है? तो घर वालों ने अपने दिल को कड़ा किया और बेटे की जगह पुतले से ही काम चला लिया। पूरे विधि-विधान के साथ पुतले का अंतिम संस्कार किया और बेटे की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस काम में अनुज के गांव वालों ने उसके घर वालों का पूरा साथ दिया।

Jharkhand News – दर्दनाक.. रोजी रोटी की तलाश में ऐसी मौत हुई कि लाश भी न मिली

गुमला के खंभिया कुंबाटोली का अनुज रोजी रोटी की तलाश में तेलंगाना गया था। वो वहां एक टनल के निर्माण में मजदूर के तौर पर काम कर रहा था। लेकिन दुर्भाग्य से टनल में धसान की वजह से भीषण हादसा हुआ और अनुज समेत कुल 8 लोग उस टनल के अंदर ही फंस गए। तब से लेकर अब तक उस टनल में रह-रह कर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन अब तक सिर्फ दो ही शव बरामद हो सके हैं और उनमें अनुज का शव नहीं है। ऐसे में घर वालों बेटे की आत्मा की शांति के लिए उसका प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।

Jharkhand News – घर वालों के लिए कलेजा फट जाने वाला अनुभव था पुतले का अंतिम संस्कार

अनुज के पिता राम प्रताप साहू ने इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अब तक वो अपने बेटे की लाश के लिए इंतजार ही कर रहे थे। लेकिन अब उनकी वो उम्मीद भी खत्म हो चुकी है। बेटे की लाश की जगह किसी पुतले का अंतिम संस्कार करना कितना तकलीफदेह है, इसे वो शब्दों में बयान नहीं कर सकते। लेकिन उनके और उनके परिवार के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

22 फरवरी 2025 को तेलंगाना में ये हादसा श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल की खुदाई के दौरान हुआ। इस हादसे में 8 लोग फंसे थे, जिनमें झारखंड के गुमला के चार लोग भी थे और इन चारों एक अनुज साहू भी था। लंबे समय तक लाशों की तलाश करने के बावजूद जब सरकार को सिर्फ 2 ही लाशें मिलीं, तो सरकार ने इस अभियान को बंद कर दिया और मजदूरों के घर वालों को उनका डेथ सर्टिफिकेट सौंप दिया। इसी के साथ तेलंगाना सरकार की ओर से सारे मजदूरों के घर वालों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गई।

इस हादसे पर टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पढ़ें-

https://timesofindia.indiatimes.com/city/

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https://newschronicles.in/india-turkey-news-7677-2/

डेथ सर्टिफिकेट और रुपये तो मिले, लेकिन अब बेटा लौट कर कभी नहीं आएगा और न ही घर वाले उसका आखिरी बार दर्शन ही कर पाएंगे।

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