Liquor In Gas Tanker – बेहद ज्वलनशील लिक्विड पेट्रोलियम गैस यानी एलपीजी लेकर एक टैंकर पंजाब के जालंधर से झांसी के लिए चला। लेकिन जैसे ही ये टैंकर यूपी के मिर्जापुर से थोड़ा आगे बढ़ा, सोनभद्र में पुलिस वालों ने इस टैंकर को रोक लिया। पूछताछ की और ड्राइवर से टैंकर के कागजात मांगे। कागज बिल्कुल दुरुस्त थे। लेकिन पुलिस वालों ने अब टैंकर की तलाशी लेने का फैसला किया। अब किसी गैस टैंकर की तलाशी लेना कोई मामूली बात तो है नहीं। भयानक खतरा है। लेकिन चूंकि पुलिस वालों के पास पुख्ता सूचना थी और अब ड्राइवर भी हाथ लग चुका था, तो उसकी मदद से टैंकर की जांच की गई। (Liquor In Gas Tanker)
Liquor In Gas Tanker – तस्करी का तरीका देख पुलिस भी हैरान
और जानते हैं इस छानबीन में क्या मिला? टैंकर के अंदर मिली 898 पेटी अंग्रेजी शराब। जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये आंकी गई है। अब सवाल ये है कि आखिर एक टैंकर के अंदर शराब लेकर जाने का ये आईडिया कहां से आया? इसके पीछे कौन-कौन से लोग हैं? जाहिर है शराब की इतनी बड़ी खेप कोई छोटा-मोटा तस्कर तो मंगवा नहीं सकता। इसके पीछे कोई ना कोई ऐसा जरूर है, जो काफी पैसे वाला और प्रभावशाली है। फिलहाल यूपी पुलिस इन सारी बातों की पड़ताल कर रही है। टैंकर के ड्राइवर जगमाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

Liquor In Gas Tanker – इतनी बड़ी तस्करी के पीछे चेहरे भी बड़े होंगे
सोनभद्र पुलिस को इस टैंकर के बारे में मुखबिर से खबर मिली थी। जिसके बाद पुलिस ने ये कार्रवाई की। पुलिस ने जब टैंकर ड्राइवर को रोका, तो उसने आईओसीएल जालंधर के बने पेपर्स दिखाए, जिसके मुताबिक इस टैंकर को झांसी कैंट में मौजूद झांसी गैस सर्विस तक ले जाने की बात थी। लेकिन असल में मामला कुछ और था। जाहिर है सारे पेपर्स फर्जी हैं और गैस टैंकर आईओसीएल में रजिस्टर्ड भी नहीं है।
फिलहाल बरामद शराब की कीमत 50 लाख और टैंकर की करीब 60 लाख रुपये बताई गई है। प्लानिंग के मुताबिक शराब की इस खेप को पहले झारखंड की राजधानी रांची में किसी रिसीवर के पास पहुंचाना था और फिर वहां से इसे बिहार भेज दिया जाता।
सोशल मीडिया पर इस टैंकर का वीडियो देखें-
https://x.com/SachinGuptaUP/status/
देखिए ऑटो में लदी लाश की दर्दनाक तस्वीर. न्यूज क्रॉनिकल्स की रिपोर्ट-
https://newschronicles.in/dead-body-in-auto-rickshaw-5972-2/
उस बिहार में जहां शराब बंदी का कानून लागू है, वहां शराब की इतनी बड़ी खेप ले जाना, अपने आप में ये साबित करता है कि वहां इस कानून का पालन कैसे हो रहा है। यकीनन इस बड़े खेल में सरकारी महकमों के लोग शामिल न हों, ऐसा हो ही नहीं सकता।