Earthquake In Sea – क्या समंदर के नीचे से भारत में किसी बड़े खतरे की आहट सुनाई दे रही है? मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में ओडिशा के नजदीक गहरे समंदर के नीचे अचानक आए भूकंप के एक तेज़ झटके ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। क्योंकि वैज्ञानिकों को लगता है कि इस इलाके में ऐसा झटका पहली बार आया है, जो अनयूजुअल यानी अस्वाभाविक है। तो क्या इस भूकंप से कोई बड़ी तबाही यानी सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा खतरा है? (Earthquake In Sea)
पुरी से 286 किमी दूर था केंद्र
मंगलवार की सुबह भारत के पूर्वी समुद्री तट के करीब 5.1 की क्षमता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। जो समंदर के नीचे से शुरू होकर ओडिशा, बंगाल और बांग्लादेश तक में महसूस किए गए। लेकिन ये इस इलाके में अपनी तरह पहली सिस्मिक या भौगोलिक गतिविधि थी, जो किसी खतरे की निशानी हो सकती है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर आए इस भूकंप का केंद्र समंदर की गहराई में करीब 91 किलोमीटर नीचे था। और भूकंप का केंद्र ओडिशा के शहर पुरी से करीब 286 किलोमीटर दूर।

समंदर के नीचे भूकंप.. धरती के ऊपर असर
फिलहाल नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिक इस मामले की जांच करने में जुट गए हैं। ये झटका इतना जोरदार था कि इसकी कंपन दूर तक महसूस की गई और सुबह सवेरे लोग अपना बिस्तर छोड़ कर भाग निकले। इस मामले की गंभीरता को आप इसी से समझ सकते हैं कि जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने फिलहाल ओडिशा और बंगाल के वैज्ञानिकों को मिला कर इस भूकंप की तह तक जाने के लिए खास टीम बना दी है।
ऐसी जगह पर भूकंप आना क्यों है अस्वाभाविक?
सुनामी और समंदर के विशेषज्ञ वैज्ञानिक भी इस भूकंप को अस्वाभाविक मानते हुए इसकी सच्चाई जानने पर जोर दे रहे हैं और उनका कहना है कि इसका अध्ययन करना बेहद जरूरी है। क्योंकि आम तौर भूकंप की गतिविधियां वहीं महसूस होती हैं, जहां जमीन के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स और खास कर उनका कोई जुड़ाव मौजूद हो। इसी वजह से दुनिया के कई क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। लेकिन ये मामला ऐसा नहीं है।
कहीं बड़ी तबाही और सुनामी का डर तो नहीं?
हालांकि ऐसा नहीं है कि इस इलाके में पहले कभी भूकंप नहीं आया। करीब 9-10 साल पहले बंगाल की खाड़ी में एक बार और भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यानी ये इलाका एक माइनर फॉल्ट सिस्टम का इलाका है, लेकिन इसकी गहरी पड़ताल जरूरी है। सीएसआईआर के मुख्य वैज्ञानिक प्रांतिक मंडल ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा है कि इस अध्ययन ये पता चल जाएगा कि इस इलाके में भूकंप का खतरा कितना बड़ा है। जिससे आगे की तैयारी करने में मदद मिलेगी।