Mystery Of Kedarnath Dham – 1200 साल से भी ज़्यादा समय से बरकरार एक अनसुलझा रहस्य..

केदारनाथ धाम से जुड़े कई अद्भुत रहस्य, जिनके बारे में अब तक किसी को पता नहीं

1200 से भी ज्यादा सालों से मंदिर प्राकृतिक आपदाएं झेल कर भी जस का तस मौजूद

2013 में आई भीषण बाढ़ में आख़िर कहां से मंदिर के पीछे आकर टिकी ‘भीम शीला’?

Mystery Of Kedarnath Dham – उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालयन रेंज में मौजूद भगवान भोले शंकर का अद्भुत मंदिर केदारनाथ धाम हिंदुओं के लिए जितनी बड़ी आस्था का केंद्र है, उतने ही गहरे इससे जुड़े कई रहस्य हैं। इसे भगवान भोले शंकर की कृपा और हमारे पूर्वजों की महारत नहीं तो और क्या कहेंगे कि दुर्गम पहाड़ी इलाके में मौजूद ये मंदिर तमाम तरह की प्राकृतिक आपदाओं को झेल कर भी सैकड़ों सालों से इनटैक्ट है। जस का तस है।
क्यों नहीं पता चलता मंदिर निर्माण का सही समय?
वैसे तो इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं। लेकिन सबसे बड़ा रहस्य (Mystery Of Kedarnath Dham) तो यही है कि साइंस की इतनी तरक्की के बावजूद अब तक कोई भी पुरातत्वविद इस मंदिर की सही-सही उम्र का पता नहीं बता सका। यानी वैज्ञानिक तमाम जांच पड़ताल कर थक गए,लेकिन ये नहीं बता सके कि ये मंदिर ठीक कब बना। 1200 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर के बारे में कुछ लोगों का दावा है कि ये महाभारतकालीन है और इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था, जबकि कई लोग मानते हैं कि इस मंदिर की नींव आदि शंकराचार्य ने रखी थी।
Mystery Of Kedarnath Dham. Credit- Pexels.
विशाल पत्थरों का जोड़ मगर बगैर चिनाई के
ये मंदिर अपने आप में हिंदू स्थापत्य कला का एक नायाब उदाहरण है। मंदिर को बनाने में बड़े बड़े हिमालयन रॉक्स यानी हिमालय के पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन कमाल ये है कि इन पत्थरों की सीमेंट या ऐसी किसी दूसरी चीज से कोई चिनाई नहीं की गई, बल्कि सिर्फ कारीगरी या फिर यूं कहें कि तत्कालीन टेक्नोलॉजी के सहारे एक दूसरे से जोड़ा गया है। जो सालों-साल तमाम झंझावातों को झेल कर भी उतनी ही मजबूती से अपनी जगह पर बने हुए हैं। सवाल है कि आखिर से क्या साइंस है?
A Hindu Sahdhu At Kedarnath Dham. Courtesy – Pexels.
लगभग 12 हज़ार की फीट की ऊंचाई पर मौजूद
समंदर से करीब 11,700 फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस मंदिर ने जो आपदाएं झेली हैं, अगर वैसी प्राकृतिक आपदा आज की तारीख में बने किसी मकान या इमारत ने झेली होती, तो न जाने कब की मटियामेट हो  चुकी होती। लेकिन भगवान भोले भंडारी के मंदिर केदारनाथ धाम की बात ही कुछ और है। आपको साल 2013 की वो त्रासदी तो याद होगी, जब उत्तराखंड के पहाड़ों में भीषण बाढ़ आई थी, सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। उस बाढ़ में अगर सबसे ज्यादा प्रभावित कोई इलाक़ा था, तो वो केदारनाथ धाम का इलाक़ा ही था।
Mystery Of Kedarnath Dham. Credit- Pexels.
केदारनाथ त्रासदी के वक्त लोगों ने देखा चमत्कार
जब बाढ़ में बड़े-बड़े पत्थर, पहाड़, पेड़ अपनी जगह से तिनके की तरह बह रहे थे, केदारनाथ धाम का ये अदभुत मंदिर जस का तस अपनी जगह पर खड़ा रहा। हैरानी भरे तरीके से एक बड़ा सा पत्थर ऊपर से टूट कर मंदिर के पास तक आया और ठीक मंदिर के पीछे आकर रुक गया। इसका नतीजा ये हुआ कि बाढ़ का पानी जो ऊपर से भीषण रफ्तार से बह रहा था, वो इस पत्थर से टकरा कर मंदिर के आजू-बाजू से डायवर्ट होकर निकलने लगा और मंदिर बिल्कुल सुरक्षित बना रहा।
लोग इसे भगवान भोलेनाथ का चमत्कार तो मानते ही हैं, लोगों ने उस विशालकाय पत्थर का नाम महाभारत के योद्धा भीम के नाम पर ‘भीम शीला’ रख दिया है, क्योंकि ये माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांच पांडवों के हाथों ही हुआ था।
हर साल झेलता एक्सट्रीम क्लाइमेट की मार
वैसे सिर्फ बाढ़ ही क्यों? केदारनाथ धाम का ये इलाका तीव्र भूकंप, भारी बर्फबारी और दूसरे एक्सट्रीम क्लाइमेट की मार झेलता रहा है। वैसे ही हिमालय का पूरा का पूरा रेंज ही एक खतरनाक भूकंप जोन में आता है। ऐसे में ये मंदिर अनगिनत बार भूकंप का सामना कर चुका है। लेकिन चाहे वो भूकंप हो या फिर बारिश या फिर भूस्खलन, मंदिर को कुछ नहीं होता।
पंच केदार की शृंखला का हिस्सा है केदारनाथ धाम
अब केदारनाथ धाम से जुड़ा वो धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य भी जान लीजिए, जिस पर हिंदुओं की अकाट्य आस्था है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव भगवान भोले शंकर से मिल कर अपने पापों के लिए क्षमा मांगना चाहते थे। मगर स्वयं भगवान शंकर इसके लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में उन्होंने पांडवों से पीछा छुड़ाने के लिए नंदी का रूप धरा और छुपने की कोशिश की। तब नंदी महाराज के शरीर के अंग धरती पर अलग-अलग जगहों पर प्रकट हुए और इस वक्त जहां केदारनाथ धाम का ये अद्भुत मंदिर है,वहां नदीं जी के पीठ का कूबड़ मौजूद था। ये मंदिर उत्तराखंड में मौजूद पंच केदार मंदिरों की श्रृंखला में से एक है।

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