
The Mehta Boys
The Mehta Boys – द मेहता ब्वॉयज़ कोई बड़े-बड़े सुपर स्टार्स से सजी हाई प्रोफाइल फिल्म नहीं है, लेकिन इसके बावजूद अगर आप इस फिल्म को देखने की शुरुआत करते हैं, तो यकीन मानिए आपके इसे अंत तक देखने की गारंटी है। फिल्म की स्टोरी से लेकर निर्देशन तक काफी सधा हुआ है और इसी का नतीजा है कि एक पिता-पुत्र की जोड़ी के उतार चढ़ाव भरे रिश्तों के इर्द-गिर्द बुनी गई ये कहानी (The Mehta Boys) आपको अंत तक बांधे रखती है।
डायरेक्टर के तौर पर बोमन हैं कमाल
बोमन ईरानी एक्टर तो खैर अच्छे हैं ही, एक डायरेक्टर के तौर पर ये उनकी पहली फिल्म है और अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने दिखा दिया है कि चीजों को देखने समझने का उनका अपना ही एक खास नजरिया है। अमेजॉन प्राइम वीडियो के इस फिल्म में बोमन सिर्फ डायरेक्टर ही नहीं, बल्कि को-प्रोड्यूसर और एक्टर भी हैं।
बोमन और ऑस्कर विनिंग राइटर का कमाल
बोमन 71 साल की उम्र के एक ऐसे पिता बने हैं, जो मूल रूप से गुजरात के नवसारी से आते हैं और जिन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया है। लेकिन इसी उथल-पुथल के बीच खुद उनके अपने बेटे के साथ भी कई मसलों पर मतभेद हैं। जबकि बेटा मुंबई में रहने वाला एक आर्किटेक्ट है। इस फिल्म की कहानी खुद बोमन ईरानी ने ऑक्सर विजेता स्क्रीन प्ले राइटर एलेक्जैंडर डाइनेलारिस के साथ मिल कर लिखा है। कहानी बेशक एक बाप-बेटे के बीच के रिश्ते की हो, लेकिन फिल्म में कोई जरूरत से ज्यादा नाटकीयता नहीं है, बल्कि इसका अपना एक सहज सरल प्रवाह है। बल्कि अगर मैं ये कहूं कि फिल्म पर्दे पर मानवीय संवेदनाओं को उकेरने और उन्हें जस का तस जीने का एक बेहतरीन जरिया बन पड़ी है, तो भी ये गलत नहीं होगा।
बुढ़ापे में कश्मकश में जीता एक शख़्स
अपनी दुनिया में जीने वाले शिव मेहता यानी बोमन ईरानी को फिल्म में उनकी बेटी अपने साथ फ्लोरिडा में चल कर रहने के लिए राजी करने की कोशिश करती है। लेकिन जैसा कि होता है बुजुर्गियत में दाखिल हो चुके बोमन के लिए नवसारी के उस मकान, वहां की गलियों और पूरी की पूरी दुनिया को छोड़ कर किसी नई जगह पर जाकर एडजस्ट कर लेना इतना आसान काम नहीं है। लेकिन अब जब उनकी पत्नी ही इस दुनिया से जा चुकी हैं, वो नवसारी छोड़ने को तैयार हो जाते हैं।
जिज्ञासा जगाते नाटकीय घटनाक्रम
खैर.. बोमन जाना तो चाहते हैं कि ऐन मौके पर मुंबई से उनका अमेरिका जाना टल जाता है और वो अपने बेटे के पास ही रुक जाते हैं। बेटे से पहले से ही उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं और फिर उसके घर रुक कर दोनों के बीच फिर से अनबन और कहासुनी की शुरुआत हो जाती है। बोमन की नवसारी से जुड़ी यादें उसे सताती हैं, वो अपनी दुनिया में खोये हुए रहते हैं और बेटे के साथ ऐसे ही ऊथल-पुथल भरा रिश्ता आगे बढ़ता रहता है। माहौल कुछ ऐसा है कि बाप बेटे ने सालों से एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच बात बढ़ती रहती है और एक दिन इतनी बढ़ती है कि दोनों ज्वालामुखी बन कर फट पड़ते हैं।
4.1/2 स्टार वाली फिल्म
वैसे अभी के लिए इतना ही… क्योंकि इससे आगे कहानी का खुलासा करना, इस फिल्म को लेकर आपकी जिज्ञासा को कम कर सकता है। लेकिन अगर आप पूछें फिल्म कैसी है, तो बाकी दर्शकों की तरह मैं भी इसे फॉर प्वाइंट हाफ स्टार्स देना चाहूंगा। जिसका मतलब काफी अच्छा होता है।