कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (RG Kar Case) में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या करने वाले संजय रॉय (Sanjay Roy) को सोमवार कोलकाता की एक कोर्ट ने सजा सुनाई। सजा के तौर पर उसे ताउम्र सलाखों के पीछे रखने का हुक्म दिया। यानी जब तक संजय रॉय जिंदा रहेगा, उसे अपनी जिंदगी जेल में ही काटनी होगी। मगर इस फैसले से ज्यादातर लोग नाखुश और हैरान हैं। क्योंकि लोगों को लगता है कि संजय रॉय ने जैसी हरकत की है, उसके बाद उसे सजा ए मौत यानी फांसी से कम कोई भी सजा नहीं दी जानी चाहिए थी। अब सवाल ये है कि आख़िर संजय रॉय को फांसी क्यों नहीं हुई?

सीबीआई की जांच में आए चौंकाने वाले तथ्य
आज हम आपको संजय रॉय को फांसी न देने की पीछे की वो वजह बताएंगे। लेकिन पहले ये जान लीजिए कि इस मामले की तफ्तीश सीबीआई ने कैसे की और उसके खिलाफ कोर्ट में कैसे-कैसे सबूत पेश किए। सीबीआई ने वारदात के समय संजय रॉय के आरजी कर अस्पताल (RG Kar Case) अंदर जाते हुए और वहां से बाहर निकलते हुए की सीसीटीवी तस्वीरें पेश की। बताया कि किस तरह उसका टूटा हुआ ब्लूटूथ नेकबैंड मौका ए वारदात पर पड़ा मिला, जो बाद में उसके फोन से पेयर हो गया। इसके अलावा मौका ए वारदात पर उसके स्लाइवा मिला, जिसकी डीएनए जांच में पुष्टि हो गई।
ऐसे सबूत थे जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता
पुलिस ने जब संजय रॉय को गिरफ्तार किया, उसके कपड़ों और जूतों में खून भी मिला, जो पीड़िता यानी ट्रेनी डॉक्टर के थे। मृतका के शरीर से भी कुछ नमूने इकट्ठा किए गए गए थे, जिनका मिलान संजय रॉय के डीएनए से हो गया। इसके अलावा तमाम परिस्थिजन्य साक्ष्य और करीब 200 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जिसके बाद अदालत ने संजय रॉय को दोषी माना। इस मामले को लेकर लोगों में जैसा रोष था, उसे देखते हुए लगता था कि संजय रॉय को फांसी होगी, लेकिन कोर्ट ने फांसी नहीं दी।
इसलिए नहीं दी गई फांसी की सज़ा
अब सुनिए, उसे फांसी क्यों नहीं हुई। असल में कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं कि ऐसी वारदात पहले नहीं हुई। ये जघन्य जरूर है, मगर रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में नहीं आता है। फिर बचाव पक्ष यानी संजय रॉय के वकील ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि संजय रॉय में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है। संजय को अगर मौका दिया जाए, तो अच्छा इंसान बन सकता है। कुछ इन्हीं दलीलों के मद्देनजर और ऐसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले सुनाए गए फैसलों की रौशनी में कोर्ट ने तय किया कि संजय को फांसी नहीं उम्र कैद की सज़ा दी जाएगी।
9 अगस्त को अस्पताल में मिली थी डॉक्टर की लाश
आरजी कर अस्पताल (RG Kar Case) में 8-9 अगस्त 2024 को एक डॉक्टर के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। जिस मामले की जांच पहले कोलकाता पुलिस ने की और फिर बाद में उसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया। इस मामले में शुरू से ही संजय रॉय इकलौता आरोपी था। जिसे आखिरकार अदालत ने सोमवार को सजा सुना दी। फिलहाल, पीड़िता के घर वाले इस सज़ा के खिलाफ अपील करने के लिए और उसके लिए सजा ए मौत की मांग करने के लिए हाई कोर्ट जा सकते हैं।
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