जबसे दुनिया में कोविड-19 यानी कोरोना वायरस का कहर टूटा है, लोग हर नए वायरस के नाम से डरने लगते हैं। इन दिनों hmpv नाम के एक वायरस को लेकर कुछ ऐसा ही चल रहा है। कोरोना की तरह चीन से शुरू हुआ ये वायरस भारत समेत दुनिया के कई देशों में फैल चुका है। लाखों लोग इसकी चपेट में हैं और बीमार हैं। खास कर ये बच्चों को ही अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में लोग इस वायरस को लेकर डरे हुए हैं। इसे लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। लेकिन अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO से लेकर भारत सरकार की मानें तो इस hmpv वायरस से डरने की नहीं बल्कि सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।
hmpv virus -2001 मे हो गई थी पहचान
WHO ने कहा है कि ये वायरस दुनिया में लंबे समय से मौजूद है और इसकी पहचान साल 2001 में ही कर ली गई थी। ये हर साल किसी ना किसी रूप में आता है और सर्दियों के दिन ज्यादा असर डालता है। लेकिन इससे घबराने या पैनिक में आने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इससे मौत के मामले में दूसरे खतरनाक वायरस के मुकाबले बहुत ही कम हैं। यही बात देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कही है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इसे लेकर लापरवाही नुकसान पहुंचा सकती है। खास कर बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के मामले में। वैसे मरीजों को भी इस hmpv वायरस से बचने की जरूरत है, जिन्होंने अंग प्रत्यारोपण करवाया है। क्योंकि कुछ मामलों में देखा गया है कि ये वायरस किडनी की बीमारी की वजह बनता है।
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hmpv virus -क्या हैं इससे बचने के उपाय
-बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर रोगों के मरीजों को इससे हर हाल में बचने की जरूरत है।
-छींकते खांसते समय नाक मुंह को ढंकने के लिए टिश्यू या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए।
-भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
-साबुन से हाथों को धो कर साफ रखना चाहिए।
-ज्यादा से ज्यादा पानी, जूस का सेवन करें, अच्छा भोजन करें।
-सर्दी जुकाम या ऐसे ही दूसरे लक्षण होने पर डॉक्टर से बात करें
-अगर आपमें ये लक्षण दिखाई देते हैं तो आप दूसरों से दूरी बना कर रखे
-इस्तेमाल किए गए टिश्यू या रुमाल का दोबारा इस्तेमाल ना करें
-लोगों से हाथ मिलाने से बचें
-जो लोग बीमार हैं उनसे सुरक्षित दूरी रखें
-बार-बार आंख, नाक या मुंह को छूने से बचें
-जहां-तहां ना थूकें
hmpv virus- भारत में बढ़ रहे हैं मामले
अब तक इस वायरस के करीब नौ मामले हमारे देश में सामने आ चुके हैं। कर्नाटक, तामिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र में भी इसके शिकार मरीज मौजूद हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे हैं।