Nobel Peace Prize 2025 winner: दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित पुरस्कारों में गिने जाने वाले नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गाहे बगाहे कई युद्धों को टालने की बात कहते हुए नोबेल पुरस्कार पर अपना दावा ठोकते रहे हैं। लेकिन इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की राजनीतिक कार्यकर्ता और विपक्ष की नेता मारिया कोरिना माचाडो को मिला है।
सालों का संघर्ष, महीनों का अज्ञातवास..
मारिया कोरिना माचाडो ने अपने देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए जैसा संघर्ष किया, वैसा काम ही देखने को मिलता है। वेनेजुएला में सत्ता पर कब्जा करने के इच्छुक ताकतों के खिलाफ माचाडो किसी चट्टान की तरह खड़ी रहीं। उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी और अज्ञातवास का जीवन जीना पड़ा। कहते हैं उन्होंने 14 महीनों से सूरज की रोशनी नहीं देखी।
जब माचाडो को अपने ही देश में चुनाव लड़ने से रोक दिया गया..
नॉर्वे की नोबेल शांति समिति ने माचाडो के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें नौजवानों का प्रेरणास्रोत बताया। माचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ। उनके पिता लोहे का कारोबार करते थे जबकि मां मनोवैज्ञानिक थी। वेनेजुएला में पिछले कई सालों से राजनीतिक संघर्ष चलता रहा है। इसी कड़ी में माचाडो ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल कर अपने देश की बागडोर संभालने की कोशिश की थी। लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
नोबेल शांति पुरस्कार के बाद पूरी दुनिया में मचाडो की धूम
इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा। नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद अब पूरी दुनिया माचाडो के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहती है।
