Daughter's last wish before death. पीहू की कहानी हर किसी के दिल को छू रही है.
Daughter’s last wish before death: मौत से खौफ से ज्यादा बड़ा दुनिया में शायद ही कोई और डर होता हो। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इस डर को भी जीत लेते हैं। राजस्थान के जालोर की रहने वाली 27 साल की एक लड़की की कहानी कुछ ऐसी ही है। प्रियंका उर्फ पीहू को बोन कैंसर यानी हड्डियों के कैंसर की बीमारी थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। यहां तक कि पीहू को भी पता चल चुका था कि अब वो चंद दिनों की मेहमान है। लेकिन अपनी जिंदगी की इन आखिरी घड़ियों को उसने जिस जिंदादिली से गुजारा, उसे याद कर अब उसके घर परिवार के लोग अब भी इमोशनल होने के साथ-साथ गर्व से भर जाते हैं। वो कहते हैं, “पीहू ने ही हमें सिखाया कि जिंदगी कैसे जीते हैं..”
सीधे लोगों के दिलों में उतर रही है पीहू की कहानी
फिलहाल से अद्भुत कहानी मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया में भी तेजी से वायरल हो रही है। पीहू को बोन कैंसर का पहली बार पता फरवरी 2023 में चला। इसके बाद इलाज का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन जितना इलाज होता रहा, मर्ज बढ़ता रहा और आखिरकार ऐसी हालत हुई कि पीहू चलने फिरने से भी लाचार हो गई। डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए। लेकिन पीहू ने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी जिंदगी की आखिरी घड़ियों को भी ऐसे गुजारा, मानों कुछ हुआ ही ना हो।
“पापा मेरे लिए केक लेकर आइए.. आखिरी घड़ी को यादगार बना दूं”
पीहू अब अस्पताल के बिस्तर पर थी और 25 अगस्त को उसने अपने पिता से प्यार जताया, “पापा एक केक लेकर आइए। मैं आखिरी घड़ियों को भी यादगार बनाना चाहती हूं।” आप सोचिए एक बुजुर्ग बाप और घर के बाकी लोगों पर तब क्या गुजरी होगी, जब दुनिया से जाते-जाते एक बेटी ने ऐसा मनुहार किया होगा। हर कोई मुस्कुराने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सबकी आंखें नम थीं। आखिरकार पीहू ने अस्पताल के बिस्तर पह ही केक काटा और वहां मौजूद सारे लोगों को खिलाया। इसके बाद लगातार उसकी तबीयत और बिगड़ती रही। पीहू की कहानी पंजाब केसरी समेत विभिन्न अखबारों और वेबसाइट्स में छपी है।
जाते-जाते पीहू ने घर वालों को बताया आखिर कैसे जीते हैं जिंदगी
अब 2 सितंबर का दिन आ चुका था। लेकिन पीहू के हौसले में कोई कमी नहीं थी। कभी वो अपने पति से पूरे परिवार का भरपूर ख्याल रखने का वादा लेती, तो कभी अपने भाई से कहती, “जा तू पहले खाना खा ले। मैं अभी यहीं हूं..” आखिरकार 2 सितंबर का दिन ही पीहू की जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ। घर वालों से बात करते-करते उसने 2 सितंबर को ही एकाएक अपनी आंखें बंद कर लीं। अब पीहू तो इस दुनिया से चली गई, लेकिन जाते-जाते उसने अपने परिवार को जो सीख दी और जिंदगी जीने का जो सलीका सिखाया, वो हमेशा उनकी यादों में रहेगा।
