
Uttarakhand flash flood : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने से आई तबाही ने लोगों को डरा दिया है। इस हादसे की तस्वीरों और विडियोज को देख कर ही समझा जा सकता है कि इसका असर इंसानी बस्ती पर कैसा हुआ होगा। धराली गांव का तो पूरा का पूरा नामो निशान ही मिट चुका है। जबकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 24 घंटे बाद जहां 5 मौतों की पुष्टि हुई है, वहीं सेना के 11 जवान समेत करीब 50 लोगों के इस प्राकृतिक आपदा में लापता हो जाने की खबर है।
जानिए तबाही वाली बाढ़ का कारण
लेकिन अब इस हादसे के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर धराली में इतनी भयानक वारदात हुई क्यों? वहां ऐसा बादल फटा ही क्यों जिसकी विनाशलीला ने लोगों को दहला दिया? तो आइए फिलहाल इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
3000 मीटर पर आम तौर पर बादल नहीं फटते
हैरत की बात ये है कि धराली और उसके आस पास का इलाके में इससे पहले कभी बादल फटने जैसी कोई घटना हुई ही नहीं। असल में धराली नाम का ये गांव काफी ऊंचाई पर है और बादल इससे भी काफी ऊंचाई पर यानी 3000 मीटर के करीब फटा है। जबकि आम तौर पर बादल 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई के आस पास ही फटते हैं और कहर ढाते हैं। ऐसे में धराली की इस घटना ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया है।
‘आजतक’ की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
आजतक ने इस सिलसिले में मौसम वैज्ञानिकों के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें ये बताया गया है कि आखिर बादल फटता कैसे है? इस रिपोर्ट के मुताबिक जब नीचे से नमी लिए हुए गर्म ऊपर पहुंच कर हवा बादलों से टकराती है, तो नमी भारी बारिश या बदल फटने की वजह बनती है। लेकिन 3000 मीटर की ऊंचाई पर आम तौर पर हवा में नमी कम होती है, जिससे इतनी ऊंचाई पर बादल फटने जैसी घटनाएं नहीं के बराबर होती हैं।
इस टॉपिक पर आप आजतक की रिपोर्ट देखें–
https://www.aajtak.in/science/story/
सोशल मीडिया पर बादल फटने से आई बाढ़ की तबाही देखिए–
https://x.com/MrSinha_/status/
वैज्ञानिकों ने ये बताई हादसे की वजह
अब सवाल है कि अगर ये इतनी ही असामान्य बात है तो फिर इस बार धराली के ऊपर ऐसा हुआ कैसे? तो वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसा जलवायु में हो रहे बदलाव के चलते हो रहा है। इससे पहाड़ों पर बारिश का जो व्यवहार होता है, उसमें भी काफी बदलाव आ चुका है। फलस्वरूप लैंड स्लाइड, फ्लड और ऐसे ही दूसरी प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं।